मध्यप्रदेश

‘आयुष्मान’ का करोड़ों रुपए अटका, मुख्यमंत्री से मिलेगा आईएमए का डेलीगेशन

ग्वालियर
बीमारी के वक्त गरीबों को 5 लाख रूपए तक के इलाज की मदद देने वाली केंद्र सरकार की महत्तवकांक्षी आयुष्मान योजना अब निजी अस्पताल संचालकों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।

इस योजना के तहत कई निजी अस्पताल में इलाज बंद कर दिया गया है। इसकी मुख्य वजह इस योजना के अंर्तगत होने वाला शासन से भुगतान है जो कि पिछले 5 से 8 महीनों में अब तक नहीं हो सका है। अकेले ग्वालियर में निजी अस्पताल संचालकों का करीब 60 करोड़ से ज्यादा का भुगतान अटका हुआ है। ऐसे ही हालात पूरे मध्य प्रदेश में है।

लिहाजा इसको लेकर अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) के बैनर तले निजी अस्पताल संचालकों ने एक जुट होकर मजबूरन आयुष्मान योजना से अलग होने के संकेत दिए है। हालंकि इस पूरे मामले को लेकर आईएमए का डेलीगेशन जल्द मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात करेगा।

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ये है चार बड़ी परेशानी

  1. पहले स्वीकृत फिर अस्वीकृत: आयुष्मान योजना के तहत मरीज के भर्ती होने के बाद उसकी पूरी डिटेल संबधित एंजेसी को दी जाती है। इसकी स्वीकृति मिलने के बाद निजी अस्पताल में मरीज का इलाज भी शुरू हो जाता है, लेकिन इलाज के दौरान या फिर मरीज के डिसचार्ज होने के बाद एजेंसी द्वारा अपनी ही स्वीकृति को अस्वीकृत कर देती है। इसके पीछे आयुष्मान कार्ड, समग्र आईडी या आधार कार्ड का मिलान नहीं होना बताया जाता है। ऐसे में मरीज भी भुगतान करने से इंकार कर देते है और विवाद की स्थिति बनती है। इससे अस्पताल को पैसा नहीं मिल पाता।
  2. भुगतान: आयुष्मान योजना के स्वीकृत मामलों में पिछले करीब 5 से 8 माह का भुगतान नहीं हुआ है। जबकि अन्य इंश्योरेंस कंपनियां 30 से 45 दिन में भुगतान कर देती है, लेकिन आयुष्मान योजना से भुगतान नहीं होने से करोड़ो रूपए अस्पताल संचालकों के अटक गए है।
  3. भुगतान में कटौती: मरीज के इलाज के बिल की शासन से स्वीकृति होने के बाद भी भुगतान के समय करीब 15 प्रतिशत कटौती कर दी जाती है। यह भुगतान शासकीय कटौती के  नाम पर की जाती है। इससे बड़ी राशि कट जाती है और अस्पताल को नुकसान उठाना पड़ता है।
  4.  अव्यवहारिक रेट: आयुष्मान योजना में शामिल कई ऐसी बीमारियां शामिल है जिनके रेट वास्तविकता से अलग है। खुद आईएमए ने कहा है कि इस योजना के तहत आईसीयू में मरीज के इलाज की स्वीकृत राशि कम है। इसमें मरीज का इलाज संभव नहीं है।

भर्ती से पहले अब शपथ पत्र
आयुष्मान योजना के तहत सामने आ रही परेशानी को देखते हुए अब ज्यादातर निजी अस्पतालों में उन्हीं मरीजों को भर्ती किया जा रहा है जो शपथ पत्र दे रहे है। इस शपथ पत्र में साफ कहा जा रहा है कि इलाज की स्वीकृति नहीं आने पर भुगतान मरीज को ही करना पड़ेगा। इस शर्त के आधार पर ही निजी अस्पतालों में आयुष्मान योजना के मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।

इनका कहना
आयुष्मान योजना के तहत जिन मरीजों का इलाज किया गया उनका भुगतान निजी अस्पतालों को पिछले करीब 5 से 8 महीनों में नहीं हो सका है। इससे करोड़ो रूपए का भुगतान नहीं मिल पाया है। इसके अलावा मरीज के इलाज की स्वीकृति मिलने के बाद अचानक इलाज होने के बाद उसी स्वीकृति को अस्वीकृत कर दिया जाता है। भुगतान के समय करीब 15 प्रतिशत राशि काट दी जाती है। इन्ही कारणों से आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज करना निजी अस्पताल संचालकों के लिए परेशानी बड़ी परेशानी बन रहा है।
डॉ.ए एस भल्ला, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष आईएमए मप्र

आयुष्मान योजना के तहत कई तरह की परेशानी निजी अस्पताल संचालकों को आ रही है। हम इस मामले में शासन स्तर पर चर्चा कर स्थिति से अवगत कराएगें।  गौरव दिवस के अवसर पर आज मुख्यमंत्री ग्वालियर आ रहें है। हमने समय मांगा है। संभव हुआ तो आईएमए का डेलीगेशन इस संबध में उनसे चर्चा करेगा।
डॉ. राहुल सप्रा, अध्यक्ष आईएमए ग्वा.

KhabarBhoomi Desk-1

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