![](https://khabarbhoomi.com/wp-content/uploads/2022/11/download-2022-11-16T175209.998.jpg)
अजय माकन ने राजस्थान प्रभारी का पद छोड़ दिया है। माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 8 नवंबर को चिट्ठी लिखकर अब राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम करने से मना कर दिया है। साथ ही, दूसरा प्रभारी ढूंढने की अपील की है। इस चिट्ठी के बाद अब माना जा रहा है कि माकन राजस्थान प्रभारी के तौर पर काम नहीं करेंगे।
अजय माकन ने चिट्ठी में 25 सितंबर को गहलोत गुट के विधायकों की बगावत और उन पर एक्शन नहीं होने का मुद्दा उठाया है। माकन ने लिखा है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान आ रही है। 4 दिसंबर को उपचुनाव हो रहे हैं। ऐसे में राजस्थान का नया प्रभारी नियुक्त किया जाना जरूरी है। भारत जोड़ो यात्रा और उपचुनाव से पहले प्रदेश प्रभारी का पद छोड़ना कांग्रेस की खींचतान में नया चैप्टर माना जा रहा है।
गहलोत गुट के तीन नेताओं के खिलाफ एक्शन पेंडिंग होना मुख्य वजह
25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में मौजूदा अध्यक्ष खड़गे के साथ अजय माकन पर्यवेक्षक बनकर जयपुर आए थे। गहलोत गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था। इसके बाद खड़गे और माकन ने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी को रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को नोटिस जारी किए गए थे।
नए प्रभारी की तलाश, 4 नामों पर चर्चा
माकन के इस्तीफे के बाद अब राजस्थान के प्रभारी महासचिव को लेकर सबसे ज्यादा उत्सुकता है। नए प्रभारी के तौर पर शैलजा, अंबिका सोनी, संजय निरुपम और दीपेंद्र सिंह हुड्डा के नामों की चर्चा है। शैलजा पहले भी राजस्थान में चुनावों के समय जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं। अंबिका सोनी पहले प्रभारी रह चुकी हैं। उन्हें गहलोत का नजदीकी माना जाता है। संजय निरुपम संगठन चुनावों में राजस्थान के प्रदेश रिटर्निंग ऑफिसर रह चुके हैं। उन्हें भी न्यूट्रल माना जाता है। दीपेंद्र हुड्डा युवा हैं। उन्हें प्रियंका गांधी का नजदीकी माना जाता है। सचिन पायलट के भी नजदीकी हैं।