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हर साल 5 दिसंबर को खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा ‘विश्व मृदा दिवस’ बढती जनसंख्या की वजह से मिट्टी के कटाव को कम करने की दिशा में काम करने, लोगों को उपजाऊ मिट्टी के बारे में जागरूक करने तथा संसाधन के रूप में मिट्टी के स्थायी World Soil Dayप्रबंधन की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। जिस तरह पानी के बिना जीवन की कल्पना मुमकिन नहीं ठीक उसी तरह मिट्टी का भी महत्व है। भारत का तो आधी आबादी ही कृषि पर निर्भर है। लेकिन खेतों में किसानों द्वारा बहुत ज्यादा केमिकल वाले खाद और कीटनाशक दवाइयों का इस्तेमाल से मिट्टी की क्वालिटी में कमी आ रही है। जो खाद्य सुरक्षा, पेड-पौधों के विकास, कीड़ों और जीवों के जीवन और आवास व मानव जाति के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है ऐसे में मिट्टी का संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है। करीब 45 साल पहले भारत में ‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ की शुरुआत हुई थी।
विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) का इतिहास
2002 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) द्वारा विश्व मृदा दिवस मनाने की सिफारिश की गई थी। एफएओ (FAO) सम्मेलन ने सर्वसम्मति से 20 दिसंबर 2013 में 68वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे मनाने की आधिकारिक घोषण की।
विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) 2022 का महत्व
मिट्टी हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि यह भोजन, कपड़े, आश्रय और दवा समेत जीवन के चार प्रमुख साधनों का स्रोत यही है। इसलिए इसके संरक्षण पर ध्यान देना जरूरी है। पेड़ों की बेइंतहा कटाई से इनकी संख्या तो कम हो ही रही है, साथ ही पेड़ों की जड़ें जो मिट्टी को बांधकर रखती हैं, पेड़ कम होने से बाढ़, तेज बारिश, या तूफानी हवाओं से प्राकृतिक आपदाओं आती हैं जो अपने साथ उपजाऊ मिट्टी बहा ले जाती हैं। तो इनकी तरफ ध्यान दें।
विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) 2022 की थीम
विश्व मृदा दिवस 2022 का विषय “मृदा, जहां भोजन शुरू होता है” है। इस तथ्य पर जोर देने के साथ कि मिट्टी में खनिज, जीव और जैविक घटक होते हैं जो मनुष्यों और जानवरों को भोजन प्रदान करते हैं। अगर उनकी गुणवत्ता और बचाव पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये संपूर्ण संसार के लिए खतरा पैद कर सकता है।
5 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?
खबरों के मुताबिक थाईलैंड के महाराजा स्व. एच.एम भूमिबोल अदुल्यादेज ने अपने कार्यकाल में उपजाऊ मिट्टी के बचाव के लिए काफी काम किया था। उनके इसी योगदान को देखते हुए हर साल उनके जन्म दिवस के अवसर पर यानी 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस के रूप में समर्पित करते हुए उन्हें सम्मानित किया गया। इसके बाद से हर साल 5 दिसंबर को मिट्टी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।