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World Ozone day: मध्यप्रदेश पर्यावरण संरक्षण में निभा रहा महत्वपूर्ण भूमिका सौर ऊर्जा उत्पादन में आगे…

सूरज की तेज और हानिकारण किरणों से धरती का संरक्षण करने वाली ओजोन लेयर की आवश्यकता को समझाने के लिए हर साल 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओजोन दिवस मनाया जाता है। बढ़ते प्रदूषण और अधिक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन जैसे कई अन्य कारणों से लगातार ओजोन परत को नुकसान पहुंच रहा है। ओजोने परत को क्षति पहुंचाने के बहुत से कारणों में से एक प्रमुख है ग्रीन हाउस गैसों का निष्कासन। हमें ग्रीन हाउस गैसों की कमी की आवश्यकता पर ध्यान देना होगा। ग्रीन हाउस गैसों के निष्कासन में कमी करना कठिन है परन्तु असंभव नहीं है। इसमें से एक है ऊर्जा के नवीन स्त्रोतों को बढ़ावा देना। ताप संयंत्रों से पर्यावरण पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर नवकरणीय ऊर्जा को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत मिशन के तहत देश में  सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नई संभावनाएं  तलाशी जा रही हैं। इसी को देखते हुए देश के हृदय स्थल मध्यप्रदेश को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। कोयले से बिजली बनाने में अग्रणी रहा मध्यप्रदेश अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी देश में अपनी नई पहचान बना रहा है और पर्यावरण के संरक्षण में अपनी बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 

सौर ऊर्जा उत्पादन में मध्यप्रदेश आगे 
गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका उपयोग आमतौर पर परिवहन और बिजली बनाने के लिए किया जाता है। पेट्रोलियम डेरिवेटिव के सेवन से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो ओजोन परत को प्रभावित करता है। पर्यवरणीय संतुलन के लिए ऊर्जा के नवीन और नवीकरणीय स्त्रोत को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। मध्यप्रदेश सरकार इस दिशा में सराहनीय कार्य कर कर रही है। प्रदेश में पिछले 10 साल में नवकरणीय क्षमता में 11 गुना वृद्धि हुई है। औसतन हर साल सौर परियोजनाओं में 54 प्रतिशत और पवन परियोजनाओं में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रदेश में सौर ऊर्जा की बड़ी रीवा परियोजना पूर्ण क्षमता के साथ संचालित है। इसके अलावा ओंकारेश्वर में बन रहा फ्लोटिंग सौर योजना दुनिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र होगा, जिसमें 600 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है। इसके अलावा आगर, शाजापुर, नीमच में अगले वर्ष से सौर ऊर्जा का उत्पादन शुरू कर दिया जायेगा। वहीं छतरपुर और मुरैना सौर परियोजना हायब्रिड और स्टोरेज के साथ विकसित की जायेंगी, जो वर्ष 2024 तक उत्पादन शुरू कर देंगी। 

रीवा परियोजना से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश को गति  
मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। 4 हजार करोड़ की लागत से निर्मित रीवा सौर परियोजना में 750 मेगावाट बिजली उत्पादन प्रारंभ हो गया है। इसके अलावा पांच हजार मेगावाट की छह परियोजनाएं और निर्माणाधीन है। रीवा सौर परियोजना 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित है। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से देखें तो रीवा सौर परियोजना से प्रतिवर्ष 15.7 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोका जा रहा है, जो 2 करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है। रीवा सौर ऊर्जा परियोजना न केवल प्रदेश को नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी बल्कि मध्यप्रदेश को अन्य राज्यों एवं व्यवसायिक संस्थानों को बिजली प्रदान करनें में अग्रणी रखेगी। इस परियोजना से लगभग 800 लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। परियोजना को राज्य-स्तर पर नवाचार के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिये सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं में चयनित किया गया। देश में अब तक 30 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफ टॉप संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं। सरकार का प्रयास है कि रूफ टॉप संयंत्र घर-घर लगायें जाएं ताकि उपयोग के लिये बिजली सस्ती दरों पर मिले। शासकीय भवनों पर सौर संयंत्र ऐसे मॉडल पर लगाये जा रहे हैं, जिसमें हितग्राही को विभाग अथवा संस्था को कोई पैसा नहीं देना है। भोपाल के निकट मण्डीदीप में 400 औद्योगिक इकाइयों के लिये 32 मेगावाट क्षमता की सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। 

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सौर परियोजनाओं पर तेजी से कार्य 
मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा की 5 हजार मेगावाट की परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। प्रदेश की पहली रीवा सौर परियोजना के लिये गठित कम्पनी रम्स द्वारा आगर, शाजापुर, नीमच, छतरपुर, ओंकारेश्वर तथा मुरैना में स्थापित होने वाली इन परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ किया है। आगर में 550 मेगावाट, शाजापुर में 450 मेगावाट, नीमच में 500 मेगावाट, छतरपुर में 1500 मेगावाट, ओंकारेश्वर फ्लोटिंग ओंकारेश्वर बांध स्थल पर 600 मेगावाट और मुरैना में 1400 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिये सौर पार्कों की स्थापना की कार्रवाई चल रही है। प्रदेश में सोलर पम्प के माध्यम से किसानों को सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना के अंतर्गत अब तक 14,250 किसानों के लिये सोलर पम्प स्थापित किये जा चुके हैं। अगले तीन वर्षों में 2 लाख सोलर पम्प लगाने का लक्ष्य है।

मध्यप्रदेश में स्वच्छ ऊर्जा की असीम संभावनाएं हैं। अक्षय ऊर्जा के तय लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाएं एकजुट होकर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है हमें इस धरती को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना होगा। इसके लिए जहां वह हर दिन वृक्षारोपण करने पर जोर दे रहे हैं वहीं, प्रदेश में किसानों की मदद से सौर ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने की दिशा में बड़ी कार्य योजना तैयार कर रहे हैं। आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के अपने मिशन को पूर्ण करने के लिए उनके द्वारा 2023 तक 45,000 सोलर पंप किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। मध्यप्रदेश स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार और जनसहयोग से आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा में मध्यप्रदेश देश का बड़ा केन्द्र बनकर उभरेगा।

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