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जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग हिरासत में क्यों ली गईं, जर्मनी में पुलिस उठाकर क्यों ले गई?

 नई दिल्ली 

जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग जर्मनी में कोयला खदान के विस्तार के लिए एक गांव को गिराए जाने के विरोध में विरोध-प्रदर्शन कर रही थीं। इस दौरान पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया है। पुलिसकर्मियों ने धरना दे रही थनबर्ग को जबरन वहां से उठा लिया। बाद में पुलिस ने कहा कि गहन पहचान जांच के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। इससे पहले पुलिस के अधिकारियों ने गरज़वेइलर 2 की ओपनकास्ट कोयला खदान के पास विरोध कर रही ग्रेटा थनबर्ग और अन्य प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी कि अगर वे खदान के किनारे से नहीं हटे तो उन्हें बलपूर्वक हटा दिया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वहां हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए थे।

20 वर्षीय ग्रेटा थनबर्ग को तीन पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनस्थल से जबरन उठा लिया। उस वक्त सभी प्रदर्शनकारी एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे। तभी पुलिसकर्मियों ने ग्रेटा को उठाकर  पुलिस वैन में डाल दिया। स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता थनबर्ग ने वहां करीब  6,000 प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया जो लुत्ज़ेरथ की ओर मार्च कर रहे थे। ग्रेटा ने खदान के विस्तार को "वर्तमान और भावी पीढ़ियों के साथ विश्वासघात" करार दिया है। उन्होंने कहा कि जर्मनी दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषकों में से एक है और उसे दुनियाभर में इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

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जर्मनी में नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में एक खदान के विस्तार के लिए एक गांव को खाली कराने और उसे धवस्त कराने का विरोध हो रहा है। जलवायु कार्यकर्ताओं का मानना ​​है कि जर्मनी को खनन कार्यों में शामिल नहीं करना चाहिए बल्कि इसके बजाय नवीकरणीय ऊर्जा के विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए।
 

KhabarBhoomi Desk-1

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