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भू लगान के बड़े बकायेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करें, नीतीश सरकार की सख्ती

पटना
राज्य सरकार भूमि लगान की बड़ी रकम रखने वाले रैयतों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने जा रही है। राजस्व एवं भमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे भू लगान के बड़े बकायेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करें। यह कार्रवाई लोक मांग वसूली अधिनियम (पीडीआर एक्ट) के तहत होगी। इसके तहत बकायेदारों के विरूद्ध सर्टिफिकेट केस दर्ज किए जाएंगे। यह पत्र इस साल 10 फरवरी को मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा के संदर्भ में जारी किया गया है।

विभाग ने रखा था 600 करोड़ का लक्ष्य
समीक्षा बैठक में पाया गया कि भू लगान एवं सैरातों से राजस्व की वसूली लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो रही है। चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने भू लगान मद से छह सौ करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा था।मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में 31 जनवरी तक की वसूली का आंकड़ा दिया गया। कुल राशि 435 करोड़ 78 लाख बताई गई। यह लक्ष्य का 66.14 प्रतिशत है। विभागीय मंत्री संजय सरावगी ने भी विधानसभा केे बजट सत्र में यही आंकड़ा पेश किया।

गांवों में होगा शिविरों का आयोजन
पत्र में कहा गया है कि लगान जमा करने के लिए भू धारियों के बीच प्रचार प्रसार किया जाए। उन्हें जागरूक बनाया जाए। संबंधित हल्का के राजस्व कर्मचारी गांवों में शिविर आयोजित करें। बड़े बकायेदारों की पहचान कर वसूली की कार्रवाई करें। जरूरत पड़े तो लोक मांग अधिनियम का सहारा लें। अगर जमीन की प्रकृति बदली है तो नियमानुसार लगान की राशि की वसूली करें। जिलाधिकारियों को गया है कि वे लक्ष्य के अनुरूप शत प्रतिशत वसूली का प्रयास करें।

भूमि लगान वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई
राज्य सरकार बड़ी रकम के बकायेदारों के खिलाफ लोक मांग वसूली अधिनियम (पीडीआर एक्ट) के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करेगी। जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे सर्टिफिकेट केस दर्ज करें।

वसूली लक्ष्य में कमी
2024-25 के लिए 600 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक केवल 435 करोड़ रुपये (66.14%) की वसूली हुई है, जो लक्ष्य से कम है।

गांवों में शिविरों का आयोजन
रैयतों को जागरूक करने के लिए गांवों में शिविर लगाए जाएंगे और बकायेदारों से वसूली की जाएगी। जरूरत पड़ी तो लोक मांग अधिनियम का सहारा लिया जाएगा।

 

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