छत्तीसगढ़

कहीं अयोध्या तो कहीं वनवास की रामकथा नजर आई अलग-अलग शैलियों में

रायपुर

राजधानी रायपुर के महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय परिसर की कला वीथिका दो दिन रामकथा के चित्रों से रौशन रहेगी। आदिवासी लोककला अकादमी छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद ओर से राम कथा पर आधारित 9 दिवसीय चित्र कला शिविर के समापन पर इस शिविर में शामिल देश भर के ख्यातिलब्ध पारंपरिक चित्रकारों के तैयार चित्रों की प्रदर्शनी यहां कला वीथिका में लगाई गई है। जिसमें अयोध्या, सीता-राम स्वयंवर से लेकर वनवास सहित रामकथा के तमाम प्रसंग दर्शाए गए हैं।

इस दो दिवसीय प्रदर्शनी की शुरूआत कला वीथिका में हुई। इस प्रदर्शनी में प्रहलाद महाराणा ने उडि?ा पट्ट शैली में अयोध्या के चित्र बनाए हैं। विनय कुमार ने चेरियल पट्टाम शैली के अपने चित्रों में राम की अयोध्या वापसी पर दीपोत्सव को दशार्या है। रघुपति भट्ट ने गंजीफा शैली में अशोक वाटिका में सीता को उकेरा है। चेतन गंगवाने ने चित्रकथी शैली में सीता राम स्वयंवर को अपनी शैली में चित्रित किया है। मोनी माला ने पटुआ शैली में वनवास के दृश्यों को बेहद सूक्ष्मता के साथ उकेरा है।

कुमकुम झा ने मधुबनी शैली में राम कथा में हनुमान की अशोक वाटिका में उपस्थिति को दशार्या है। वहीं बनमवर महापात्र ने उडि?ा पट्ट शैली में अयोधा काण्ड और शन्ति देवी झा ने मधुबनी चित्र शैली में सीताराम विवाह को दशार्या है। इन सभी कलाकारों में प्रदर्शनी में पहुंचे दर्शकों को अपनी-अपनी शैली और प्रदर्शित चित्रों पर विस्तार से जानकारी दी। दर्शकों ने पारंपरिक शैली के इन चित्रों को बेहद सराहा और कलाकारों से बात कर अपनी जिज्ञासा शांत की।

आदिवासी लोक कला अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ला ने इस अवसर पर उपस्थित दर्शकों से कहा कि शिविर में आए कलाकारों ने अपनी-अपनी शैली में रामकथा चित्रित की है। भविष्य में रामकथा पर और भी पारंपरिक कलाकारों से चित्र बनवाए जाएंगे। जिसमें रामकथा के अलग-अलग कांड व घटनाओं को शामिल किया जाएगा। इससे भविष्य में छत्तीसगढ़ में देश का एक वृहद रामकथा संग्रहालय बनाने योजना को अमली जामा पहनाया जा सकेगा।

KhabarBhoomi Desk-1

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