उत्तर प्रदेश

शिवपाल को सपा में सबसे पहले मिलेगी ये बड़ी भूमिका, अखिलेश का नया प्‍लान; क्‍या राजभर-केशव और ओवैसी भी देंगे सा

लखनऊ
शिवपाल यादव की सपा में वापसी के साथ ही समाजवादी पार्टी अब उनको लेकर अगले साल लोकसभा चुनाव में तैयारी में जुटने जा रही। विधानसभा चुनाव की तरह सपा की कोशिश छोटे दलों के साथ गठबंधन को लेकर चुनावी जंग में उतरेगी। इसके तहत साथ छोड़ गए या रुठे क्षेत्रीय क्षत्रपों को फिर साथ लिया जाएगा। इसमें शिवपाल यादव की अहम भूमिका होगी। निकाय चुनाव बाद यह कवायद शुरू हो जाएगी। इसके तहत ओमप्रकाश राजभर और केशव देव मौर्च के साथ असुदद्दीन औवेसी और अन्‍य कई नेताओं को साथ लाने की कोशिश की जा सकती है। 

असल में शिवपाल यादव की छोटे दलों के ज्यादातर नेताओं से रिश्ते ठीक हैं। सपा ने इसी साल जुलाई में शिवपाल के साथ-साथ सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर को कहीं भी जाने के लिए मुक्त किया था। सपा के गठबंधन के मजबूत साथी राजभर अब अलग राह ले चुके हैं। उनकी भी दुबारा भाजपा में जाने की चर्चाएं खूब चलीं लेकिन बात नहीं बनीं। माना जा रहा है कि सुभासपा देर सबेर सपा गठबंधन का हिस्सा बन सकती है। हालांकि वह अभी सपा पर तंज करते रहते हैं। सपा से गठबंधन से सुभासपा को भी फायदा हुआ। सपा गठबंधन के दूसरे साथी महान दल भी खफा चल रहा है। उसकी शिकायत रही है कि उसे गठबंधन के अन्य साथियों के मुकाबले सपा नेतृत्व ने कम तवज्जो दी।

 महान दल को हालांकि विधानसभा में कोई सीट नहीं मिली थी लेकिन अति पिछड़ी जातियों में उसने कहीं कहीं असर दिखाया था। इसके केशव देव मौर्य ने सपा गठबंधन के लिए कई जिलों में यात्राएं निकाली थीं। इसी तरह संजय चौहान की पार्टी ने जोरदार प्रचार अभियान चलाया था। सपा के साथ रालोद और अपना दल कमेरावादी जैसे सहयोगी दल मजबूती से साथ हैं। असल में रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में सपा की करारी शिकस्त के बाद गठबंधन में दरार पड़ने लगी थी। ओम प्रकाश राजभर ने हार का ठीकरा सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर मढ़ा था। यही जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के संजय चौहान ने सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान को दगा कारतूस बताया था।

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ओवैसी की पार्टी समेत नए छोटे दलों पर निगाह
विधानसभा चुनाव के वक्त सांसद असुदद्दीन औवेसी, ओम प्रकाश राजभर और शिवपाल यादव अलग मोर्चो बनाने के लिए कई बार बैठकें की थीं। बदले हालात में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अगर इस गठबंधन के साथ आ जाए तो कोई हैरत की बात नहीं।

ओवैसी की पार्टी विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ गठजोड़ की कोशिश में थी। लेकिन शिवपाल बाद में खुद ही सपा से चुनाव लड़ गए थे। सपा के सहयोगी रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने भीम आर्मी व आजाद समाज पार्टी अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद के गठबंधन में साथ आने का संकेत दिया है। आजाद ने हाल में खतौली में सपा आरएलडी गठबंधन का प्रचार किया था।
 

KhabarBhoomi Desk-1

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