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इस बार कार्तिक महीने की शुरुआत 10 अक्तूबर से हो रही है और उसके पहले रविवार,9 अक्तूबर को सभी पूर्णिमा में सबसे खास मानी जाने वाली शरद पूर्णिमा है। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा बहुत ही खास होती है। इस दिन चांद की चांदनी पृथ्वी पर अमृत के समान होती है और चांद पृथ्वी के काफी करीब आ जाता है जिससे चांद का आकार बहुत बढ़ा दिखाई देता है। इसके अलावा शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है। शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा से जुड़ी कुछ 10 खास बातें…
1- हर वर्ष आश्विन माह की पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, दरअसल इस तिथि पर मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करते हुए सभी के घरों में प्रवेश करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है। जो लोग इस पूर्णिमा पर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा और मंत्रों का जाप करता हुआ मिलता है मां लक्ष्मी उन पर प्रसन्न होती हैं और वहीं निवास करने लगती हैं।
2- शरद पूर्णिमा पर खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में खीर बनाकर रखने की परंपरा है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी औषधीय गुणों से भरपूर होती है और खीर पर पड़ने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं।
3- शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में खीर रखने का विधान है,खीर में दूध,चीनी और चावल के कारक भी चन्द्रमा ही है,अतः इनमें चन्द्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है। 3-4 घंटे तक खीर पर जब चन्द्रमा की किरणें पड़ती है तो यही खीर अमृत तुल्य हो जाती है,जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है।
4- शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा की तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण सभी गोपियों संग वृंदावन में महारास लीला रचाते हैं। इस कारण से शरद पूर्णिमा पर वृंदावन में विशेष आयोजन होता है। इसलिए इस महीने की पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
5- पौराणिक मान्यतओं के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है।
6- नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए निशीथ काल में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है। इस कारण से इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं।
7- शरद पूर्णिमा पर चांद अपनी सभी 16 कलाओं के साथ पूरे आसमान में छटा बिखेरता है। इस दिन चांद सभी पूर्णिमाओं की तुलना में सबसे ज्यादा चमकीला और बड़ा दिखाई देता है।
8- शरद पूर्णिमा माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी की विशेष पूजा होती है। इस दिन माता को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हुए लक्ष्मी मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायक होता है।
9- शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना के अलावा भगवान शिव, भगवान हनुमान और चंद्रदेव की भी विशेष पूजा और मंत्रोचार करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए खीर का भोग लगाया जाता है।
10- शरद पूर्णिमा पर कुछ देर के लिए चांदनी रात में बैठकर चांद को खुली आंख से देखना और ध्यान लगाना चाहिए।