राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने शुक्रवार को भुवनेश्वर में अपने पुराने स्कूल गवर्नमेंट कैपिटल गर्ल्स हाई स्कूल और आदिवासी छात्रावास का दौरा किया। इस विद्यालय में उन्होंने कक्षा 8 से लेकर 11 तक की शिक्षा ग्रहण की थी। अपने पुराने सहपाठियों से मुलाकात के दौरान द्रौपदी मुर्मू की पुरानी यादे ताजा हो गईं।
चार दशक पहले के अपने सहपाठी से मिलने के कुछ मिनट पहले तन्मयी बिसोई चिंता से घिर गई कि वह उनसे क्या कहेंगी? आखिरकार आप किसी राष्ट्रपति को उसके नाम से तो नहीं पुकारते है ना? 1974 बैच के राष्ट्रपति के साथ अपने 12 दोस्तों के साथ हुई बातचीत के दौरान बिसोई की चिंता उनकी सहपाठी द्रौपदी मुर्मू से मिलने के साथ ही दूर हो गई। 64 वर्षीय तन्मयी बिसोई ने कहा, “उन्होंने मुझसे गर्मजोशी से मुलाकात की और ओडिया में पूछा, “चुनी कैन (चुनी कहाँ है)?। चुन्नी मेरी जुड़वां बहन है। मैंने उनसे कहा कि चुनी नहीं आ सकती क्योंकि वह शहर में नहीं है।”
तन्मयी बिसोई अब चार बच्चों की दादी हैं और अपने परिवार के साथ भुवनेश्वर में रहती हैं। लेकिन इससे पहले वह एक आदिवासी छात्रावास में रहती थी। बिसोई ने बताया, “मेरी माँ का एक आधिकारिक क्वार्टर था, जो उस छात्रावास के बगल में था, जहाँ द्रौपदी और अन्य लोग रहते थे। स्कूल के समय के बाद हम सभी कैंपस में एक साथ खेलते थे। तब भी द्रौपदी अनुशासित, ईमानदार और मेहनती थीं। वह बहुत ज्यादा नहीं बदली, हालांकि अब वह सर्वोच्च पद पर काबिज है।”
कुंतलकुमारी सबत आदिवासी गर्ल्स हॉस्टल में द्रौपदी मुर्मू तुलसी मुंडा ब्लॉक में अपने कमरे में प्रवेश करते ही उदासीन हो गई और सिंगल बेड और बाद में स्टडी टेबल पर बैठ गई। उन्होंने पहले की ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों को देखने के लिए भी समय निकाला। द्रौपदी मुर्मू ने आखिरी बार 2018 में झारखण्ड के राज्यपाल के रूप में अपने स्कूल और छात्रावास का दौरा किया था, जब स्कूल ने अपनी डायमंड जुबली मनाई थी।
डांगी, जो कुछ साल पहले सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे, उन्होंने कहा, “द्रौपदी हम सबको देखकर बहुत खुश हुई। हालाँकि हम उसके व्यस्त कार्यक्रम के कारण अधिक बात नहीं कर सके। उन्होंने सभी के बारे में पूछा। इतने सालों बाद स्कूल वापस जाना बहुत खास है।”