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 घटते विदेशी मुद्रा कोष और कर्ज से पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर

कराची
पाकिस्तान (Pakistan) इस वक्त भारी आर्थिक मंदी (Economic Crisis) से जूझ रहा है. घटते विदेशी मुद्रा भंडार और कर्ज की वजह से पाकिस्तान की आर्थव्यवस्था की सांस फूलने लगी है. इससे पहले की सांस उखड़ जाए, पाकिस्तान की सरकार ने मदद के लिए हाथ फैलाने शुरू कर दिए हैं. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट की वजह से बड़े पैमाने पर आयात ठप हो चुका है. इस वजह से जरूरत की वस्तुओं की किल्लत हो रही है और उनके दाम आसमान छू रहे हैं. इस बीच सऊदी अरब ने मदद के संकेत दिए हैं.

सऊदी अरब ने मदद के दिए संकेत

रायटर्स के अनुसार, सऊदी अरब ने कहा कि वह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में अपने निवेश को बढ़ाकर 10 बिलियन डॉलर कर सकता है. साथ ही उसने पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में जमा राशि की सीमा को बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर कर दिया है. पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल सैयद आसिम मुनीर सऊदी अरब के दौरे पर हैं. सोमवार को उनकी मुलाकात सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से हुई थी.

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पहले भी मदद कर चुका है सऊदी

सऊदी अरब पहले भी पाकिस्तान की वित्तीय रूप से मदद करता रहा है. पिछले साल सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तेल के लिए दी जाने वाली वित्तीय राहत को दोगुना करने का ऐलान किया था. इसके अलावा सऊदी ने 4.2 अरब डॉलर के चल रहे लोन को चुकाने की तारीख को भी आगे बढ़ा दी थी. सऊदी अरब ने दिसंबर 2021 में पाकिस्तान के स्टेट बैंक में तीन अरब डॉलर जमा किए थे. समाचार एजेंसी के अनुसार,  क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अगस्त में घोषित1 बिलियन डॉलर के निवेश को 10 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने के लिए स्टडी करने का निर्देश दिया है.

IMF का मुंह ताक रहा पाकिस्तान

फिलहाल, अपनी डूबती नैया बचाने के लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का मुंह ताक रहा है. लेकिन IMF ने अभी तक मदद को लेकर अपना रुख साफ नहीं किया है. पाकिस्तान और IMF के बीच 9वीं समीक्षा वार्ता पिछले साल अक्टूबर से ही लंबित है. वार्ता सफल नहीं होने के कारण IMF ने 1.1 अरब डॉलर की लोन की किश्त रोक दी है. पाकिस्तान IMF की शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहा जिससे वार्ता आगे नहीं बढ़ पा रही है. IMF चाहता है कि पाकिस्तान सरकार अपने खर्च में कटौती करे, आयात पर प्रतिबंध लगाए, अतिरिक्त कर लागू करे और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी करे.

कर्ज ही विकल्प

पाकिस्तान की कोशिश 9वीं समीक्षा वार्ता जल्द से सफल जाए, ताकी उसे IMF के साथ-साथ विश्व बैंक और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) से भी कर्ज मिल सके. पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश करने वाला चीन ने भी इस मुश्किल परिस्तिथि में पाकिस्तान से मुंह मोड़ लिया है. अगर पाकिस्तान को IMF से मदद नहीं मिलती है, तो फिर देखना होगा कि वो किसके सामने हाथ फैलाता है. क्योंकि उसके सामने बस विकल्प कर्ज लेने का ही बचा है.

पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने हाल ही में बताया कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार छह अरब डॉलर से भी कम रह गया है. पाकिस्तान को तीन महीने (जनवरी-मार्च) के भीतर 8.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाना है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात का दो अरब डॉलर शामिल है.

KhabarBhoomi Desk-1

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