मानसिक सेहत के प्रति जागरुकता बढ़ाने के मकसद से पूरी दुनिया 10 अक्टूबर का दिन वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World Mental Health Day) के रूप में मनाती है। कोरोना महामारी के बाद से तो मानसिक रोगों से जूझ रहे लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। और तो और बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। यूनिसेफ की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन 14 फीसदी बच्चे भी अवसाद में जी रहे हैं। तो इस दिन को इतने बड़े स्तर पर मनाने का सिर्फ और सिर्फ उद्देश्य लोगों के बीच मानसिक सेहत के प्रति जागरूकता फैलाना है।
इतिहास
संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1992 में मनाने की शुरुआत की थी। इस दिन को मनाए जाने की सलाह साल 1994 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रॉडी ने दी थी। विश्वस्तर पर इस दिन को मनाए जाने का मकसद लोगों को मानसिक सेहत के प्रति जागरुक करना है। इसे हर साल एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है।
थीम
हर साल इस दिन को एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल की थीम है ‘मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं’ (Make Mental Health and Well-Being for All a Global Priority)
महत्व
हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। कोविड- 19 महामारी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग इसपर ध्यान नहीं देते। फिजिकल और मेंटल हेल्थ एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। किसी भी एक पहलू को नजरअंदाज करना दूसरे पहलू को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। बड़े-बूढ़े से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। तो इस प्रॉब्लम को छिपाने की जगह उस पर ध्यान देने की जरूरत है। वरना आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) के मौके पर, ITC Fiama ने NielsenIQ के सहयोग से अपना लगातार दूसरा मानसिक स्वास्थ्य सर्वे जारी किया। ये सर्वे भारत में युवाओं की बदलती लाइफस्टाइल के साथ तनाव के कारणों का पता लगाने के लिए किया गया था। सर्वे के रिजल्ट्स बताते हैं कि मिलेनियल्स के लिए काम तनाव की सबसे बड़ी वजह है, जबकि GenZ के लिए रिलेशनशिप और ब्रेकअप।
इस मौके पर दुनियाभर में मेन्टल हेल्थ को लेकर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और उनमें लोगों को मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के तरीके बताए जाते हैं। साथ ही तनाव में जी रहे लोगों की समस्याओं को जानने का प्रयास किया जाता है और उन्हें सही राह दिखाने का प्रयास किया जाता है।