छत्तीसगढ़

आचार संहिता लगने से पहले स्वास्थ्य कर्मियों ने मांगा 13 माह का वेतन, लगाया उपेक्षा का आरोप

भिलाई

छत्तीसगढ़ शासन के अंतर्गत कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों ने पूर्व भाजपा  शासनकाल ओर वर्तमान कांग्रेस सरकार पर उनकी मांगों को लेकर उपेक्षापूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री सैय्यद असलम का कहना है कि अनिर्णय की इस स्थिति से  स्वास्थ्य कर्मचारियों में भारी रोष है।
 

उन्होंने बताया कि हमारा विभाग पीड़ित मानवता की सेवा करता है इसलिए लंबी अवधि तक हड़ताल करना उचित नहीं है हमारी हड़ताल से जन की हानि होती है जिसकी कोई भरपाई नहीं हो सकता है।  दिगर कर्मचारी संगठनों कोटवार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मितानिन, शिक्षकों का संगठन, पंचायत सचिव पटवारी और अन्य सभी अपनी मांगों को लेकर लंबे समय तक हड़ताल करते हैं,इसमें केवल जनमानस को कठिनाई होती है। राजस्व का भी कुछ हद तक नुकसान है लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलेज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ओर उप स्वास्थ्य केन्द्र के स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल पर लंबे अवधि तक चले जाने से समय पर उपचार नहीं होने जिन मरीजों की मृत्यु हो जाती है उसकी भरपाई नहीं हो सकता है। इसलिए शासन प्रशासन को स्वास्थ्य कर्मियों के मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

सैय्यद असलम ने कहा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बड़ी उम्मीद है चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले विभिन्न मांग वेतन विसंगति,एक कैलेंडर वर्ष में 13 माह का वेतन देने, नर्सिंग संवर्ग को धुलाई भत्ता 500 रुपये प्रतिमाह करने, संविदा और जीवन दीप के कर्मचारियों का नियमितिकरण, उप स्वास्थ्य केन्द्र के कर्मचारियों एवं सुपरवाइजर, बीईटीओ नेत्र सहायक, अधिकारी कुष्ठ कार्यक्रम के कर्मचारियों को निश्चित यात्रा भत्ता , डिग्री ओर डिप्लोमा धारी स्टाफ नर्स को दो वेतन वृद्धि,स्टाफ नर्सों का नाम नर्सिंग आफिसर करने जैसे कदम उठाए। इसी तरह सीएचओ को अन्य प्रांतों में मिल रही राशि के अनुरूप मानदेय भुगतान करने, एएनएम (ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजिका व संयोजक) का ग्रेड पे निर्धारण करने, फार्मासिस्ट की वेतन विसंगति, वाहन चालक और ड्रेसरो को समयमान वेतनमान का लाभ सहित अन्य मांगों पर विचार होना चाहिए।

KhabarBhoomi Desk-1

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