छत्तीसगढ़

पर्यावरण बचाने सरकार के साथ स्वयं सेवी संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका – डॉ. भूरे

रायपुर
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने एनआईटी में एचसीएल फांउडेशन द्वारा पर्यावरण संरक्षण में स्वयं सेवी संस्थाओं की भूमिका पर आयोजित अखिल भारतीय सेमीनार में शिरकत की। इस सेमीनार का विषय भारत में जलवायु और पर्यावरण परिवर्तन की चुनौतियां और स्वयं सेवी संस्थाओं की भूमिका था। सेमीनार को संबोधित करते हुए कलेक्टर डॉ. भुरे ने कहा कि मौसम और पर्यावरण परिवर्तन के इस दौर में सरकार तथा स्वयं सेवी संस्थाएं एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में काम कर रहे है। गैर सरकारी संस्थाएं इस दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों, कार्यक्रमों और नीतियों को लागू करने के लिए मदद्गार साबित हो रही है।

डॉ. भुरे ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए लोग अब ज्यादा जागरूक हो गये है। पहले की अपेक्षा माहौल भी बदल रहा है। सरकारी तंत्र भी अब पहले की अपेक्षा स्वयं सेवी संगठनों के साथ काम करने में अधिक अनुकूल हुए है। पर्यावरण नीति, पर्यावरण को बचाने जन भागीदारी से लेकर दूसरे स्थानीय मुद्दों पर भी अब लोग स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से अपनी राय सरकार को दे रहें हैं। डॉ. भुरे ने कहा कि इससे स्थानीय स्तर पर पर्यावरण संबंधी समस्याओं को हल करने में स्थानीय लोगों की मद्द भी मिल रही है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली कुछ गैर सरकारी संस्थाओं का उदाहरण दिया और पर्यावरण संबंधी योजनाओं को लागू करने में जन अपेक्षाओं तथा सामाजिक कल्याण को ध्यान में रखने पर भी जोर दिया।

कलेक्टर डॉ. भुरे ने कहा कि एनजीओ पर्यावरण संरक्षण सतत् विकास, वन प्रबंधन इत्यादि क्षेत्रों में काम कर रही है। स्वयं सेवी संगठन जमीनी स्तर पर तक कार्य करती है जिसके कारण जमीनी हालात के संबंध में जानकारी मिलती है। इससे शासकीय तंत्र कार्य को बेहतर करने में मदद् मिलती है और साथ ही विशेषज्ञ के रूप में सलाह मिलती है। किसी भी कार्य योजनाओं को स्थानीय आवश्यकताओं पर आधारित बनाये जाने पर सकारात्मक परिणाम मिलते है। इसमें स्वयं सेवी संगठन महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है। कलेक्टर ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का जवाब दिया।

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KhabarBhoomi Desk-1

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