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वाराणसी। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी वाद की सुनवाई बुधवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हुई। इस दौरान ज्ञानवापी परिसर में तहखाने को तोड़कर और मलबे को हटाकर कमीशन की कार्रवाई आगे बढ़ाने की मांग पर सुनवाई हुई। मामले में मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से आपत्ति दाखिल की गई।
इस पर हिंदू पक्ष की ओर से प्रति आपत्ति दाखिल करने के लिए अदालत ने 11 नवंबर की तिथि तय की। वहीं सुनवाई के दौरान जिला जज ने कोर्ट में विशेष टिप्पणी भी दोनों पक्षों को लेकर की। उन्होंने कहा है कि आगे से इस मुकदमे में एक हफ्ते से ज्यादा की अवधि की तारीख अब नहीं दी जाएगी। मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में चल रहा है। इसके अलावा उन्होंने सभी पक्षों से कहा है कि इस मुकदमे को लग्जरियस सूट की तरह नहीं चलने देंगे। अदालत का समय कीमती है। कृपया उसका सही उपयोग करें।
पिछली तिथि में 21 अक्तूबर को कोर्ट ने ज्ञानवापी- श्रृंगार गौरी केस में पार्टी बनने के लिए दिए गए सभी पक्षकारों के आवेदन को खारिज कर दिया था। साथ ही इस मामले में ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए वादी हिंदू पक्ष की मांग व कारमाइकल लाइब्रेरी में मिले गणेश व लक्ष्मी की मूर्ति को सुरक्षित व संरक्षित करने की मांग वाली अर्जी पर अगली तिथि को सुनवाई करने व इस पर आपत्ति दाखिल करने के लिए अंजुमन इंतजामिया की ओर से समय मांगने पर 100 रुपये हर्जाना लगाते हुए सुनवाई के लिए दो नवंबर की तिथि तय की थी।
आज कोर्ट में क्या हुआ
बुधवार को अंजुमन इंतजामिया की ओर से आपत्ति दाखिल की गई। इसके बाद हिंदू पक्ष की ओर से इसके जवाब में अपनी प्रति आपत्ति दाखिल करने के लिए अदालत से समय की मांग की गई। जिस पर अदालत ने 11 नवंबर की तिथि नियत कर दी।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वादी पक्ष ने 82 ग के तहत कमीशन की कार्यवाही आगे बढ़ाने की बात अदालत में कही है। उस पर प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने अपनी अपत्ति कोर्ट में दाखिल कर दी है। जिस पर अदालत ने वादी पक्ष को अपना पक्ष रखने के लिए 11 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है।