मध्यप्रदेश

नर्मदा तटों पर उमड़े श्रद्धालु, 600 साल बाद बना ऐसा अद्भुत संयोग

भोपाल
आज मकर संक्रांति मनाई जा रही है। लेकिन कुछ पंचांग में ये पर्व 14 तारीख को बताया है। ग्रंथों में सूर्य के राशि बदलने के समय से ही संक्रांति मनाने का फैसला किया जाता है। 14 जनवरी की रात करीब 9 बजे सूर्य मकर राशि में आ गया था। ज्योतिषियों का कहना है कि अस्त होने के बाद सूर्य ने राशि बदली इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाना चाहिए।

रविवार को संक्रांति पर्व शश, पर्वत, शंख, हर्ष और सत्कीर्ति नाम के राजयोग में मन रहा है। आज रविवार भी है और सूर्य अपने ही नक्षत्र यानी उत्तराषाढ़ में है। इस शुभ संयोग में किए गए स्नान-दान और पूजा का फल और बढ़ जाएगा। इनके लिए पुण्यकाल सुबह करीब 7 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि इस दौरान किए गए शुभ कामों से अक्षय पुण्य मिलता है। ज्योतिषियों के मुताबिक मकर संक्रांति पर बन रहा ऐसा दुर्लभ संयोग पिछले 600 सालों में नहीं बना। संक्रांति में नर्मदा दर्शन, पूजन, दान व स्नान का  महत्व है। नर्मदा तटों पर मेले का नजारा रहा। आज करीब चार लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।

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