मध्यप्रदेश

आंगनवाडी कर्मियों ने भोपाल में प्रदर्शन कर उठाई अपनी आवाज

कर्मचारी के रूप में नियमित करो, न्यूनतम वेतन दो, मानदेय में कटौती का आदेश वापस लो
भोपाल

प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग में काम कर रही आंगनवाडी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं ने कर्मचारी के रूप में नियमित करने, तब तक न्यूनतम वेतन देने, न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये करने सहित मांगों के साथ मानदेय से राज्य सरकार द्वारा गैर कानूनी ढंग से काटी गयी राशि का एरियर सहित भुगतान करने, सेवा निवृत्ति पर कार्यकर्ता को एक लाख एवं सहायिकाओं को 75,000 रुपये दिये जाने सम्बन्धी मुख्यमंत्री की घोषणा को घोषणा दिनांक से लागू कर सेवा निवृत्त सभी आंगनवाडी कर्मियों को इसका लाभ देने, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू कर सेवा निवृत्त सभी आंगनवाडी कर्मियों की ग्रेच्युटी का भुगतान करने सहित मांगों को लेकर आंगनवाडी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन मध्य प्रदेश (सीटू) द्वारा आज 3 फरवरी 2023 को भोपाल के नीलम पार्क में प्रदर्शन करते हुये मुख्यमंत्री एवं प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्य प्रदेश शासन भोपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।

उल्लेखनीय है कि 1 जून 2018 को प्रदेश की आंगनवाडी कर्मियों के वेतन में राज्य शासन द्वारा अपने हिस्से के मानदेय में वृद्धि कर 7,000 रुपये किया गया था एवं केन्द्र का हिस्से का 3,000 रुपये मिलाकर मानदेय 10,000 रुपये कर दिये थे। लेकिन एव वर्ष तक निरंतर भुगतान के बाद राज्य सरकार ने 27 जून 2019 को एक और आदेश जारी कर गैरकानूनी तरीके मानदेय में कटौती कर कार्यकर्ता के मानदेय में से 15,00 रुपये, सहायिका के मानदेय में से 750 रुपये एवं उप केन्द्र के कार्यकर्ता के मानदेय में से 1250 रुपये काट लिया गया है। तब से प्रदेश के आंगनवाडी कर्मी लगातार काटी गयी राशि का एरियर सहित वापसी को लेकर संघर्ष कर रही है।

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नीलम पार्क में सभा की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष विद्या खंगार, आशा सिंंह, ज्योति पवार, रानी रावत, शशिकला पांडे, अंजली बिसैन, लीला कुशवाहा, सत्यभामा सिंह, पुुष्पा वाईकर की अध्यक्षमंडल ने की। प्रदर्शनकारियों को सीटू राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश महासचिव प्रमोद प्रधान ने मुख्य रूप से सम्बोधित किया। श्री प्रधान ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रति सरकार की रवैये की आलोचना करते हुये कहा कि महंगाई लगातार बढ रही है लेकिन सरकार बजट में कटौती कर विभाग के नियमित गतिविधियों को भी संकट में डालने का काम कर रही है। आंगनवाडी कर्मियों से सरकार भरपूर काम ले रही है, लेकिन उन्हें जीने लायक वेतन देने के लिये तैयार नही है। सरकार आंगनवाडी परियोजनाओं का निजीकरण करने का प्रयास में जुटी है।

प्रदेश अध्क्ष विद्या खंगार एवं महासचिव किशोरी वर्मा ने आरोप लगाया कि 8 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री निवास में आयोजित पोषण उन्मुखीकरण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा आंगनवाडी कर्मियों की सेवा निवृत्ति पर आंगनवाडी कार्यकर्ता को एक लाख रु एवं सहायिका को 75,000 रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन इस घोषणा के चार वर्ष बीतने के बाद भी सरकार इसे लागू नही कर रही है। यूनियन ने षोषणा दिनांक से इसे लागू कर अब तक सेवा निवृत्त सभी आंगनवाडी कर्मियों को लाभ दिये जाने की मांग की। उन्होंने सर्वाेच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुये विभाग के पास प्रस्तुत आवेदनों पर तत्काल कार्यवाही कर ग्रेच्युटी का भुगतान तत्काल किये जाने की मांग की। उन्होंने पोषण ट्रेकर की समस्या का समाधान करने, डाटा हेतु पर्याप्त राशि देने, कल्याण योजना बनाकर सामाजिक सुरक्षा लाभ देने, गैर विभागीय कार्य कराये जाने पर रोक लगाने, हितग्राहियों को अच्छी गुणवत्ता के साथ पर्याप्त पोषण आहार देने, पर्यवेक्षकोंं के रिक्त पदों पर वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को नियुक्ति देने, एक माह का ग्रीष्मकालीन अवकाश देने, उप केन्द्र की कार्यकर्ता को पूर्ण केन्द्र का कार्यकर्ता के समान मानदेय एवं सुविधायें देने की भी मांग की।

प्रदर्शनकारियों को यूनियन के कार्यवाहक अध्यक्ष आशा सिंह, साियक महासचिव कमलेश शर्मा, अफसाना बेगम, साधना भदौरिया, ममता जादौन, ममता रजक , कृष्णा कशवाहा, ममता रजक, आभा तोमर, लीला कुशवाहा, विजयलक्ष्मी, सावित्री कुशवाहा, संध्या पांडे, सीमा तिलासे, सोना सिंह, कुसुम पटेल, सीमा जाटव, हाजरा काजमी, पी एन वर्मा, इन्द्रा,ए टी पदमनाभन आदि ने भी सम्बोधित किया।.
                                         

KhabarBhoomi Desk-1

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