छत्तीसगढ़

तिरंगा धारण कर गर्वान्वित हैं तो यह हक आपको नवीन जिन्दल ने दिलाया

रायपुर

20 दिसंबर 2005 को राष्ट्रीय सम्मान के अपमान निरोधक कानून-1971 में संशोधन के बाद हमें कमर से ऊपर वस्त्रों में तिरंगा धारण करने का अधिकार मिला। रायपुर- 19/12/22 – कैप, हेल्मेट, शर्ट-टीशर्ट, कोट-ब्लेजर और हाथ-बाजुओं-कंधों पर तिरंगा धारण कर आप आॅफिस या किसी सार्वजनिक स्थल पर जाकर गर्वान्वित महसूस करते हैं, बड़ी-बड़ी सभाओं और कार्यक्रमों में जाकर खुद के भारतीय होने का अहसास दिलाते हैं तो वस्त्रों पर कमर से ऊपर तिरंगा धारण करने का यह अधिकार हमें दिलाया जाने-माने उद्योगपति श्री नवीन जिन्दल ने। 20 दिसंबर 2005 को श्री नवीन जिन्दल के प्रयासों से राष्ट्रीय सम्मान के अपमान निरोधक कानून-1971 में संशोधन के बाद हमें यह अधिकार मिला।  

आम आदमी को घर या अन्य स्थान पर 365 दिन झंडा लगाने के अधिकार को दिलाने के बाद जब श्री जिन्दल एक सांसद के रूप में संसद की कार्यवाही में भाग लेने गए तब उन्होंने अपनी जैकेट पर तिरंगा लैपल पिन लगाया हुआ था। तब उन्हें ये बताया गया कि राष्ट्रीय सम्मान के अपमान निरोधक कानून-1971 के अनुसार कोई भी सांसद वस्त्रों पर झंडा नहीं लगा सकता। उसके बाद श्री नवीन जिन्दल ने संसद में प्रस्ताव पारित करवाया, जिसके बाद सदन की कार्यवाहियों में तिरंगा लगाकर भाग लेने की इजाजत सांसदों को मिल गई। इसी तरह उन्होंने आम नागरिकों को भी कमर से ऊपर के परिधान पर तिरंगा लगाने की इजाजत दिलाने की लड़ाई लड़ी, जिसके परिणामस्वरूप 20 दिसंबर 2005 को राष्ट्रीय सम्मान का अपमान निरोधक (संशोधन) कानून के माध्यम से कमर से ऊपर तिरंगा धारण करने का अधिकार देशवासियों को मिल गया, जो भारतीय लोकतंत्र का संदेश पूरी दुनिया में फैलाने में कारगर साबित हो रहा है।

Related Articles

कुरुक्षेत्र से दो बार सांसद, पोलो एवं निशानेबाजी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, समर्पित समाजसेवी, स्वस्थ-शिक्षित समाज और मिशन जीरो हंगर के प्रणेता श्री नवीन जिन्दल देश के पवित्रतम प्रतीक तिरंगे में निहित संदेशों को घर-घर पहुंचाने के उद्देश्य के प्रति सदैव समर्पित हैं।  फ्लैग फाउंडेशन आॅफ इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मेजर जनरल (रिटायर्ड) अशीम कोहली ने बताया कि तिरंगे को लोकतांत्रिक बनाने की जंग फतेह करने के बाद श्री नवीन जिन्दल ने कमर से ऊपर तिरंगा धारण कर देशभक्ति प्रदर्शित करने का अधिकार लोगों को दिलाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने सांसद के रूप में 2004 में तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी के समक्ष संसद में तिरंगा प्रदर्शन के लिए अनुमति मांगी, जिसे 15वीं लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार ने मंजूरी दे दी और जिसके बाद सांसद तिरंगा लैपल पिन लगाकर संसद में जाने लगे। इससे पहले कुछ भी धारण करने की इजाजत उन्हें नहीं थी।

KhabarBhoomi Desk-1

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button