धर्म

यशोदा जयंती18 फरवरी को मनाई जाएगी , जानें मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि

 हिंदू धर्म में एक से बढ़कर एक महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें होली, दिवाली, यशोदा जयंती, रविदास जयंती, दुर्गा पूजा, छठ पूजा, गणेश उत्सव, रक्षाबंधन सहित कई अन्य पर्व शामिल हैं। इसके लिए लोगों में अलग-अलग प्रकार का उत्साह देखने को मिलता है। कुछ त्यौहार ऐसे होते हैं, जिन्हें रीजनल स्तर पर मनाया जाता है, तो कुछ त्यौहार ऐसे हैं, जो पूरे देश भर में मानते हैं। इसे मानने की परंपरा और विधि भले ही अलग हो सकती है, लेकिन लोग काफी ज्यादा उत्साहित होते हैं।

हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर यशोदा जयंती मनाई जाती है, जो भगवान श्रीकृष्ण की माता यशोदा को समर्पित है।

मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 18 फरवरी को सुबह 4:53 बजे से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 19 फरवरी को सुबह 7:32 बजे होगा। उदय तिथि के अनुसार, यशोदा जयंती 18 फरवरी को मनाई जाएगी।
महत्व

यशोदा जयंती का महत्व माता और संतान के बीच प्रेम का प्रतीक माना जाता है, जो माताओं के लिए विशेष है। इस दिन माता यशोदा और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है और भक्त सुबह से ही लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना में लीन हो जाते हैं। इस त्यौहार का संबंध श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें माखन चोरी से परेशान होकर गांववाले बार-बार नंद बाबा और माता यशोदा से शिकायत करने आते थे।
पूजन विधि

    इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें।
    साफ और धुले हुए वस्त्र धारण करें।
    एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माता यशोदा और बाल गोपाल की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
    अब गंगाजल से मूर्ति का अभिषेक करें।
    आप चाहें तो पंचामृत से स्नान कराएं।
    पूजा के आरंभ में दीपक जलाएं।
    इसके बाद धूप, फूल, माखन-मिश्री, फल और मिठाई का भोग अर्पित करें।
    फिर यशोदा माता की कथा सुनें।
    हाथ जोड़कर श्रद्धा पूर्वक प्रार्थना करें।
    अंत में आरती उतारकर पूजा संपन्न करें।

करें दान

यशोदा जयंती के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों का निवारण होता है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

 

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