मुंबई
2024 आम चुनाव से पहले एनसीपी बॉस शरद पवार ने एक सियासी गुगली फेंकते हुए दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक सनसनी मचा दी है. महाराष्ट्र और देश की की राजनीति के बड़े शख्सियत शरद पवार ने बाउंसर फेंकते हुए कहा है कि वे पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं. मुंबई में अपनी आत्मकथा विमोचन के दौरान शरद पवार ने कहा कि, 'मेरे साथियों, भले ही मैं अध्यक्ष पद से हट रहा हूं, लेकिन मैं सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं. 'निरंतर यात्रा' मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है. मैं सार्वजनिक कार्यक्रमों, बैठकों में भाग लेता रहूंगा. चाहे मैं पुणे, मुंबई, बारामती, दिल्ली या भारत के किसी भी हिस्से में रहूं, मैं हमेशा की तरह आप सभी के लिए उपलब्ध रहूंगा. मैं लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए चौबीसों घंटे काम करता रहूंगा.
शरद पवार का ये बयान हमें उनकी बेटी सुप्रिया सुले के उस बयान का याद दिलाती है जो उन्होंने 19 अप्रैल को दिया था. सुप्रिया सुले ने कहा था कि अगले 15 दिनों में होंगे दो राजनीतिक ‘धमाके’ होंगे. निश्चित रूप से सुप्रिया सुले का संकेत इसी ओर था. हालांकि उनका दूसरा कथित 'धमाका' अभी भी भविष्य में छिपा हुआ है.
शरद पवार ने नहीं बताया है NCP का Succession plan
82 साल के शरद पवार ने अपनी पार्टी का (Succession plan) उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है. इसलिए उनकी इस घोषणा के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आगे एनसीपी का ताज कौन संभालेंगा. एनसीपी के उत्तराधिकारियों में 2 नाम सामने आते हैं. पहला नाम है उनकी बेटी सुप्रिया सुले और दूसरा नाम है उनके भतीजे अजित पवार.
अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती- राजनीतिक आत्मकथा’के विमोचन से कुछ दिन पहले ही शरद पवार ने अपने राजनीतिक कदम का संकेत देते हुए कहा था कि अब रोटी पलटने का वक्त आया है. अगर रोटी को नहीं पलटा जाएगा तो रोटी जल जाएगी. इसके कुछ ही दिन बाद उन्होंने एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा कर दी.
हाल फिलहाल में महाराष्ट्र की राजनीति में इस बात की चर्चा जोरों से थी कि अजित पवार बीजेपी के साथ शामिल होकर गठबंधन में शामिल हो सकते हैं. अजित पवार 2019 में एक अभूतपूर्व राजनीतिक घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार में शामिल हो भी चुके हैं. एनसीपी के नेता अजित पवार के इस मूव पर असमंजस में हैं और वे कुछ नहीं कह पा रहे हैं.
हालांकि अजित पवार ने इन अटकलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह जीवित रहने तक अपनी पार्टी के लिए काम करेंगे. हालांकि अजित पवार ने महज कुछ ही दिन पहले अपने राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाहिर करते हुए कहा था कि वे 100 फीसदी महाराष्ट्र के सीएम बनना चाहते हैं. अजित पवार के इस बयान को पार्टी आलाकमान को संदेश समझा गया.
अगर एनसीपी विधायकों की बात करें तो कई विधायक अजित पवार के फैसले से सहमत दिखते हैं. लेकिन एनसीपी के अंदर उन्हें कितनी स्वीकार्यता मिलती है ये देखने वाली बात होगी. क्योंकि सुप्रिया सुले तो शरद पवार की बेटी तो हैं ही एनसीपी कैडर में वे पार्टी की सहज उत्तराधिकारी मानी जाती हैं.
बार-बार फैसला वापस न लेने को कहें- अजित पवार
इस बीच अजित पवार ने आज ऐसे बयान दिए जिससे उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाहिर होती है. अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के सामने कहा कि एनसीपी क नेता बार बार उनसे फैसले वापस न लेने को कहें. पवार साहब हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे. अजित पवार ने कहा कि नए नेतृत्व को मौका मिलना चाहिए.
अजित पवार ने कहा कि शरद पवार साहेब के मार्गदर्शन में नए अध्यक्ष का चुनाव होगा. पवार साहब का नेतृत्व और मार्गदर्शन हमेशा बना रहेगा. पार्टी अध्यक्ष कोई भी हो, उनका मार्गदर्शन हमेशा रहेगा. कभी-कभी ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं. साहेब के नेतृत्व में पार्टी का अगला अध्यक्ष चुना जाएगा तो क्या दिक्कत है? इसमें दिक्कत क्या है? सभी निर्णय और पार्टी के भविष्य के निर्णय साहेब के नेतृत्व और मार्गदर्शन में होंगे। वह फैसला बदलने वाले नहीं हैं.यह निर्णय किसी दिन लिया जाना था.
बाला साहेब के नक्शे कदम पर शरद पवार
अगर महाराष्ट्र की राजनीति की बात करें तो शिवसेना के पूर्व चीफ बाला साहेब ठाकरे भी ऐसे मौके पर दो बार पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की घोषणा की थी जब उन्हें लगा था कि पार्टी में उनकी सुनी नहीं जा रही है. बाला साहेब इस कदम के बाद पार्टी के अंदर फिर से मजबूत होकर उभरते थे. शरद पवार ने भी इसी राह पर चलने की कोशिश की है, शरद पवार को लगता है कि पार्टी में उनकी नहीं सुनी जा रही है और कुछ नेता उनकी अवहेलना कर रहे हैं. शरद पवार का इशारा किसकी ओर है ये राजनीतिक पंडितों के लिए समझने की बात है.
ये नेता चुनेंगे NCP का अगला अध्यक्ष
शरद पवार ने अपनी आत्मकथा के विमोचन में कहा कि पिछले 60 सालों में आप सब मजबूती से मेरे साथ खड़े रहे. मैं इसे नहीं भूल सकता. आज संगठनात्मक निर्णय की घोषणा के बाद, मैं एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति का सुझाव देता हूं जो भविष्य की कार्यवाही के साथ-साथ यह भी तय करेगी कि किसे क्या जिम्मेदारी मिलेगी. इस समिति में शामिल होंगे प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, पीसी चाको, नरहरि जिरवाल, अजीत पवार, सुप्रिया सुले, जयंत पाटिल, छगन भुजबल, दिलीप वलसे-पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र आव्हाड, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, जयदेव गायकवाड़ और पार्टी के फ्रंटल सेल के प्रमुख.
बता दें कि शरद पवार ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाया था और 1999 में कांग्रेस छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया था. शरद पवार 1999 से ही एनसीपी के अध्यक्ष हैं.