छत्तीसगढ़

बच्चों से दूर होने लगा जब कुपोषण, तो मुस्कुराने लगा बचपन

जांजगीर-चाम्पा

आज के बच्चे, कल के भविष्य है। ये बच्चे बड़े होंगे, देश के नागरिक बनेंगे। यदि यह कुपोषित होंगे तो उनका जीवन यापन कितना कठिन होगा। असामयिक बीमारी और मृत्यु की संभावना बनी रहेगी। हमें नहीं भूलना चाहिए कि हम जिस विभाग में आए हैं, उस विभाग में रहकर हमें क्या करना है? हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य क्या है? हमें काम के बदले वेतन मिलते हैं। हम अपना दायित्व क्यों भूल गए हैं ? हमें और भी आगे आकर काम करना होगा। जब तक हम इन कुपोषित बच्चों को अपना या परिवार का बच्चा मानकर इनका मेडिकल जाँच नहीं करेंगे, इन्हें अच्छा पोषण आहार नहीं खिलाएंगे तो जिले से कुपोषण कैसे दूर होगा ? कुछ ऐसी ही सोंच के साथ जिले के संवेदनशील कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने जांजगीर-चाम्पा जिले में पद स्थापना के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निदेर्शों के तहत जिले में कुपोषण को दूर भगाने अभियान छेड़ा था। उनका यह प्रयास था कि जिले के पोषण पुनर्वास केंद्रों की दशा पहले से और बेहतर होकर किसी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की सेवाओं की तरह बदल गए। इन केंद्रों में न सिर्फ कुपोषण के शिकार बच्चों को लाया जा रहा है, अपितु उन्हें सुपोषण बनाने वह खुराक भी दी जा रही है, जिससे हर बच्चा आने वाले कल का बेहतर भविष्य बन सकें। एक ही छत के नीचे कुपोषित बच्चों को उनकी माताओं के साथ रखकर विशेष आहार परोसने के अलावा शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मनोरंजन का साधन उपलब्ध कराने के बाद ये बच्चें फिर से मुस्कुराने लगे हैं।

जिले में कुपोषण को दूर करने विशेष अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में भोजन के अलावा सप्ताह में दो दिन अंडा व केला दिया जा रहा है। एनिमिक और गर्भवती महिलाओं को गरम भोजन भी परोसे जा रहे हैं। इसी कड़ी में सभी विकास खंडों में पोषण पुनर्वास केंद्र का संचालन गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चों को सामान्य बनाने के लिए किया जा रहा है। ऐसा ही अकलतरा ब्लॉक का पोषण पुनर्वास केंद्र है। कलेक्टर ने जब यहाँ निरीक्षण किया तो उन्हें कुछ कमियां महसूस हुई। उन्होंने जिला खनिज निधि से यहाँ बच्चों के मनोरंजन से लेकर अन्य सुविधाएं मुहैया कराई। यहाँ आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के अति कुपोषित और मध्यम कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर लाया जाता है। बच्चों के साथ उनकी माताएं भी होती है। लगातार 15 दिनों तक डॉक्टरों की नियमित चेकअप और विशेष पोषक आहार के साथ बच्चों को स्वस्थ बनाया जाता है। यहाँ की अटेंडेंट शारदा वर्मा ने बताया कि अभी चार माह में 100 से अधिक कुपोषित बच्चों को सुपोषित भी बनाया जा चुका है। जिले के महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्रीमती अनिता अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री सुपोषण योजना का बेहतर क्रियान्वयन की कोशिश करने के साथ एनआरसी में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कुपोषित बच्चों को स्वस्थ बनाया जा रहा है। यहां परिवार नियोजन, स्वच्छता, टीकाकरण और कम बजट में बच्चों के सेहत के लिए लाभदायक भोजन खिलाने के विषय में भी जानकारी दी जाती है।

KhabarBhoomi Desk-1

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