प्रयागराज
महाकुंभ में जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक थैला, एक थाली अभियान में जुटीं वॉटर वुमेन शिप्रा पाठक ने कहा, "संगम समेत पूरे महाकुंभ में स्वच्छता का जो दृश्य दिख रहा है वो अद्भुत है. यह सुंदर व्यवस्था एक ऐसे व्यक्ति ने की है जो मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ एक साधक हैं, योगी हैं, संन्यासी है. कुंभ उनके हृदय के बहुत निकट है. इसलिए. की उनसे बेहतर व्यवस्था कोई और नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा, कुंभ से अलग भी उदाहरण दूं तो पिछले वर्ष नवंबर में अयोध्या से रामेश्वरम पैदल गई थी. जब हमने कर्नाटक में लोगों को बताया कि मैं अयोध्या से राम के घर से आई हूं तो उनकी प्रतिक्रिया थी कि योगी वाला उत्तर प्रदेश. अगर कर्नाटक के एक छोटे से गांव में भारत के सबसे बड़े प्रदेश की पहचान योगी जी के नाम से हो रही है तो इसका मतलब है कि महाराज जी की सेवा, संकल्प और सिद्धांत को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मान्यता मिल रही है.
'एक स्वस्थ शरीर से मिलेगा मोक्ष'
शिप्रा ने बताया कि हमने गोमती की यात्रा की, फिर अयोध्या से रामेश्वरम तक की यात्रा की. हमारा उद्देश्य नए भारत की परिकल्पना नहीं, बल्कि प्राचीन भारत को ही जीवित रखना है. हमें आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति से अवगत कराना होगा. त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने से सिर्फ मोक्ष नहीं मिलता है, बल्कि शरीर भी स्वस्थ होता है. एक स्वस्थ शरीर को ही मोक्ष मिल पाएगा.
अब तक 13 हजार KM कर चुकी हैं पदयात्रा
वॉटर वुमेन शिप्रा पाठक जल एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर अब तक 13,000 किलोमीटर की पदयात्राएं कर चुकी हैं. उनकी संस्था पंचतत्व से 15 लाख लोग जुड़े हैं, जिनके सहयोग से नदियों के किनारे 25 लाख पौधे लगाए गए हैं. यहां महाकुंभ में भी वह स्वच्छता की अलख जगाने के लिए एक थैला, एक थाली अभियान में सक्रिय भूमिक निभा रही हैं. उनका कहना है कि, कुंभ को स्वच्छ बनाने के लिए हमने पहले ही अखाड़ों में जाकर थैला, थालियां, गिलास, चम्मच बांट दिए. किसी श्रद्धालु के हाथ में पन्नी दिखी तो उसको भी थैला दे दिया. उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृतियों को जीवित रखते हुए नदी को बचाना है.