भोपाल
राजधानी के एम्स में ब्रेन ट्यूमर का गामा नाइफ से इलाज की प्रक्रिया एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड से अनुमति का इंतजार में अटकी हैं। इसकी डिजाइन और प्लान एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड को भेजी गयी है। इसके शुरू होने के बाद एम्स भोपाल अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने वाला एम्स प्रदेश का पहला और देश का छठा सरकारी चिकित्सा संस्थान होगा।
इससे पहले एम्स दिल्ली, सफदरजंग अस्पताल, पीजीआई चंडीगढ़, पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल मुंबई सहित अन्य गिने-चुने निजी और सरकारी अस्पतालों में यह सुविधा उपलब्ध है। विशेषज्ञों के अनुसार गामा नाइफ रेडियो सर्जरी ब्रेन ट्यूमर के इलाज में 90 फीसदी कारगर है। तीन साल पहले इसके लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। कोरोना महामारी के चलते यह अटक गया था।
गामा नाइफ से इलाज के फायदे
कैंसर के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने का खतरा नहीं रहता।
मरीज को चीरा लगाने की जरूरत नहीं होती ।
आपरेशन के बाद संक्रमण रेडियस 0.01 प्रतिशत रह जाता है।
ब्रेन में खून ले जाने वाली नस को कोई नुकसान नहीं होता।
महज तीन-चार घंटे बाद ही मरीज राहत महसूस करता है।
ब्रेन ट्यूमर बढ़ नहीं पाता।
ब्रेन में सूजन नहीं आती है और ना ही ब्रेन हेमरेज का खतरा रहता है।
इन बीमारियों में होगा इस्तेमाल
ब्रेन ट्यूमर
ब्रेन कैंसर
ट्राइजेमिनल न्यूरेलजिया (नस की बीमारी)
एकोस्टिक न्यूरोमा (नस की बीमारी)