
वाशिंगटन
डोनल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि वे ऐसे आवेदकों को वीजा जारी करने से मना कर दें, जिन्होंने फैक्ट-चेकिंग, कंटेंट मॉडरेशन, कंप्लायंस या ऑनलाइन सेफ्टी से जुड़े पदों पर काम किया है। रॉयटर्स ने अमेरिकी विदेश विभाग के एक मेमो के हवाले से यह जानकारी दी है।
किन लोगों को वीजा देने पर प्रतिबंध?
उम्मीद की जा रही है कि इन नए वीजा प्रतिबंधों का टेक्नोलॉजी वर्कर्स पर, खासकर भारत जैसे देशों से आवेदन करने वालों पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। मेमो में स्पष्ट निर्देश है कि कांसुलर अधिकारी ऐसे किसी भी व्यक्ति को वीजा न दें जो संयुक्त राज्य अमेरिका में सुरक्षित अभिव्यक्ति की सेंसरशिप या सेंसरशिप की कोशिश के लिए जिम्मेदार या इसमें शामिल पाया जाए।
यह निर्देश पत्रकारों और टूरिस्ट सहित सभी तरह के वीजा पर लागू होता है, लेकिन इसका मुख्य फोकस H-1B वीजा पर है। यह वीजा आमतौर पर टेक्नोलॉजी और संबंधित सेक्टर में उच्च कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों को दिया जाता है। आवेदकों की जाएगी जांच गलत सूचना से मुकाबला करने, कंटेंट मॉडरेशन, ट्रस्ट और सेफ्टी, और कंप्लायंस जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए आवेदकों की प्रोफेशनल हिस्ट्री, लिंक्डइन प्रोफाइल और सोशल मीडिया अकाउंट की गहन जांच की जाएगी। इस तरह की भूमिकाओं में शामिल होने के सबूत मिलने पर आवेदक एंट्री के लिए अयोग्य हो सकते हैं।
इन प्रोफेशनल्स को टारगेट करती है यह पॉलिसी
रॉयटर्स के मुताबिक, ऐसा प्रतीत होता है कि यह पॉलिसी ऑनलाइन सेफ्टी के काम में शामिल प्रोफेशनल्स को टारगेट करती है, जिसमें बाल यौन शोषण सामग्री, यहूदी विरोधी भावना और अन्य नुकसानदायक ऑनलाइन कंटेंट से निपटने वाले लोग भी शामिल हैं। ट्रंप प्रशासन ने इस निर्देश को फ्री स्पीच की रक्षा के तौर पर पेश किया है। इस संबंध में, 6 जनवरी, 2021 को कैपिटल दंगे के बाद सोशल मीडिया बैन को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति के अपने अनुभवों का हवाला दिया गया है। यह पॉलिसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर टेक सेक्टर में कर्मचारियों के प्रवेश को सीमित करने का एक बड़ा कदम है।






