
शुभम पांडेय, नई दिल्ली। जापान में कोरोना महामारी के बीच सकुशल टोक्यो ओलिंपिक संपन्न होने के बाद अब टोक्यो पैरालिंपिक खेलों का रोमांच पूरी दुनिया को देखने को मिलेगा। इसमें पैरा एथलीट यानी दिव्यांग खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। ओलिंपिक खेलों के तर्ज पर ही हर चार साल बाद इन खेलों का आयोजन कराया जाता है जिसमें भारत का अब तक का सबसे बड़ा 54 पैरा-एथलीटों का दल नौ खेलों में स्पर्धा के लिए टोक्यो पहुंच चुका है। इसमें देवेंद्र झाझरिया, मरियप्पन थंगावेलु, प्रमोद भगत, सुहास एल. यतिराज और सुमित अंतिल जैसे कई शानदार खिलाड़ी हैं, जिन्हें पदक का दावेदार माना जा रहा है। टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में बैडमिंटन और ताइक्वांडो जैसे खेल पहली बार शामिल किए गए हैं।
पदक के दावेदार
देवेंद्र झाझरिया (भाला फेंक पैरा एथलीट)
विश्व रैंकिंग -1
स्वर्ण पदक – 2004 एथेंस पैरालिंपिक, 2016 रियो पैरालिंपिक
टोक्यो ओलिंपिक की भाला फेंक स्पर्धा में गोल्डन थ्रो फेंककर स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा जहां इन दिनों छाये हुए हैं, वहीं पैरालिंपिक की भाला फेंक स्पर्धा में दो बार स्वर्ण पदक जीतने वाले देवेंद्र भी परिचय के मोहताज नहीं हैं। देवेंद्र ने एफ46 वर्ग में पिछले 2016 रियो पैरालिंपिक में 63.97 मीटर दूर भाला फेंकते हुए विश्व रिकार्ड बना डाला था। इसके बाद टोक्यो पैरालिंपिक की क्वालीफाई स्पर्धा में बार फिर से देवेंद्र ने 65.71 मीटर दूर भाला फेंकते हुए अपने ही विश्व रिकार्ड को तोड़कर नया कीíतमान स्थापित किया था। देवेंद्र से सभी देशवासियों को एक बार फिर स्वर्ण पदक की उम्मीदें हैं।
मरियप्पन थंगावेलु (ऊंची कूद पैरा एथलीट)
विश्व रैंकिंग – 2
स्वर्ण पदक – 2016 रियो पैरालिंपिक खेल
पिछले रियो पैरालिंपिक खेलों में पुरुषों की टी-42 ऊंची कूद स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर तमिलनाडु के मरियप्पन ने सभी देशवासियों का दिल जीत लिया था। इसके बाद 2019 विश्व पैर एथलीट चैंपियनशिप में भी मरियप्पन ने कांस्य पदक अपने नाम किया। इस तरह भारतीय पैरालिंपिक दल के ध्वजवाहक मरियप्पन रियो की तरह टोक्यो में भी पदक जीतकर अपना वर्चस्व बरकरार रखना चाहेंगे।
सुहास एल यतिराज(पैरा शटलर)
विश्व रैंकिंग – 3
स्वर्ण पदक – 2016 एशियन चैंपियनशिप, 2017 और 2019 तुर्की पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप
पैरालिंपिक खेलों में पहली बार बैडमिंटन को शामिल किया गया है जिसमें भारत के सात शटलर भाग ले रहे हैं। इसमें कर्नाटक से आने वाले सुहास भी शामिल हैं। वह वर्तमान में नोएडा के डीएम हैं। कई सारे बैडमिंटन टूर्नामेंट में तमाम पदक अपने नाम करने के बाद अब सुहास टोक्यो पैरालिंपिक को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे। उन्होंने साल 2019 के कई टूर्नामेंटों में (स्वर्ण, रजत और कांस्य) कुल 10 पदक हासिल किए थे।
एकता भयान (चक्का फेंक, पैरा एथलीट)
विश्व रैंकिंग – 6
स्वर्ण पदक – 2018 एशियन पैरा खेल
राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में क्लब और चक्का फेंक की स्पर्धा को मिलाकर कुल पांच स्वर्ण पदक जीतने वाली हरियाणा की एकता भारत की प्रमुख चक्क फेंक पैरा एथलीट हैं। महज पांच साल पहले खेलों के मैदान में उतरी एकता ने अपने जज्बे से टोक्यो पैरालिंपिक खेलों में ना सिर्फ जगह बनाई बल्कि अब उन्हें पदक का दावेदार भी माना जा रहा है।
प्रमोद भगत
विश्व रैंकिंग -1
स्वर्ण पदक – 2018 पैरा एशियन खेल, 2019 पैरा बैडमिंटन विश्व चैंपियनशिप
ओडि़शा राज्य से आने वाले प्रमोद भगत भी भारत के शीर्ष शटलर खिलाडि़यों में से एक हैं। 33 वर्षीय प्रमोद पुरुषों की एसएल तीन सिंगल्स स्पर्धा में भाग लेंगे। प्रमोद अपनी स्पर्धा में दुनिया के शीर्ष खिलाड़ी हैं। प्रमोद ने विश्व चैंपियनशिप प्रतियोगिताओं में स्वर्ण के साथ तमाम पदक अपने नाम किए हैं। इस तरह टोक्यो पैरालिंपिक में पहली बार खेले जाने वाले इस खेल में प्रमोद स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लिए इतिहास रचते हुए नजर आ सकते हैं।
मनीष नरवाल (निशानेबाज)
विश्व रैंकिंग – 4
स्वर्ण पदक – 2021 पैरा विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता
10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्डन निशाना लगाने के लिए मनीष नरवाल तैयार हैं। हरियाणा से आने वाले 19 वर्षीय मनीष ने 2016 से निशानेबाजी सीखना शुरू की थी। तबसे उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक अपने नाम किए हैं।
रियो पैरालिंपिक में भारत ने जीते थे चार पदक
1984 के खेलों में जोगिंदर सिंह बेदी ने पुरुषों की गोला फेंक स्पर्धा में रजत पदक जीता उसके बाद चक्का और भाला फेंक में कांस्य पदक अपने नाम किया था, वहीं भीमराव केसरकर ने भाला फेंक में रजत पदक पर कब्जा जमाकर भारत के लिए चौथा पदक दिलाया था। भारतीय पैराएथलीटों ने 1988 से 2000 तक पोडियम में स्थान पाने के लिए काफी संघर्ष किया, अंतत: एथेंस में 2004 गेम्स में पदकों का सूखा समाप्त हुआ यहां भारत ने एक स्वर्ण और एक रजत पदक जीतकर 53वां स्थान हासिल किया। 2004 में देवेंद्र झाझारिया ने भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता जबकि राजिंदर सिंह ने 56 किलोग्राम भारवर्ग में भारोत्तोलन के लिए कांस्य पदक जीता था।
इसके चार साल बाद बीजिंग में भी भारत खाली हाथ लौट आया। 2012 लंदन में भारत एकमात्र पदक ही हासिल कर पाया था। तब एचएन गिरीशा ने पुरुषों की ऊंची कूद एफ42 श्रेणी में रजत पदक जीता था। इसके बाद 2016 में भारत ने रियो खेलों में चार पदक के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। मरियप्पन थंगावेलु और देवेंद्र झाझरिया ने क्रमश: ऊंची कूद एफ42 और भाला फेंक एफ46 में स्वर्ण पदक जीता, जबकि दीपा मलिक ने भी गोला फेंक में रजत पदक पर कब्जा जमाया। वहीं वरुण सिंह भाटी ने ऊंची कूद एफ42 श्रेणी में कांस्य पदक अपने नाम किया।