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Tokyo Olympics 2020 में इन भारतीय खिलाड़ियों से थी पदक की आस, लेकिन किया निराश

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Tokyo Olympics 2020 का समापन हो चुका हो और सभी एथलीट और टीमें पेरिस में 2024 में होने वाले ओलिंपिक खेलों की तैयारियों में जुट जाएंगी, लेकिन इससे पहले आपके लिए ये जानना जरूरी है कि भारत का प्रदर्शन इन खेलों में कैसा रहा। भारत ने कुलमिलाकर सात पदक अपने नाम किए और एक ओलिंपिक खेलों में भारत का ये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यहां तक कि पहली बार ट्रैक एंड फील्ड में पहला गोल्ड मेडल भी भारत को मिला है, लेकिन खबर में हम उन भारतीय खिलाड़ियों की बात करेंगे, जिनसे कम से कम पदक की उम्मीद थी। भारत के कई ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने खुद को ही नहीं, बल्कि देशवासियों और खेल प्रशंसकों के निराश किया।

मनु भाकर

भारत की स्टार शूटर मनु भाकर की उम्र महज 19 साल है और उन्होंने ओलिंपिक में भाग लिया था। मनु ने छोटी से उम्र में शूटिंग की दुनिया में ख्याति प्राप्त की, लेकिन अपने प्रदर्शन को वे टोक्यो ओलिंपिक में उतार नहीं सकीं। 10 मीटर एयर पिस्टल में दुनिया की दूसरे नंबर की खिलाड़ी मनु भाकर से उम्मीद थी कि वे देश को पदक दिलाएं, लेकिन पहले 10 मीटर एयर पिस्टल और फिर 25 मीटर एयर पिस्टल की व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में 12वें और 15वें स्थान पर रहीं और फिर 10 मीटर में ही मिक्स्ड टीम में सौरभ के साथ वे क्वालीफिकेशन राउंड को टॉप करने में सक्षम रहीं, लेकिन स्टेज 2 पर उनका खराब प्रदर्शन रहा, जिसके कारण उनको स्पर्धा से बाहर होना पड़ा।

अमित पंघाल

मौजूदा एशियाई खेलों के चैंपियन और विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता, जो अपनी मुक्केबाजी की श्रेणी में शीर्ष वरीयता प्राप्त थे, अमित पंघाल ने कोलंबिया के मार्टिनेज के खिलाफ टोक्यो में अपना पहला दौर (16 का दौर) गंवा दिया, जो सभी भारतीयों के लिए एक चौंकाने वाला था। स्वर्ण पदक की संभावना वाले अमित पंघाल ने शानदार शुरुआत की थी, लेकिन अगले दो हाफ में जो हुआ वह अकल्पनीय और दिल दहला देने वाला था। 4-1 से हार झेलकर अमित पंघाल टूर्नामेंट से बाहर हो गए।

विकास कृष्ण यादव

तीन बार के ओलंपियन और मौजूदा कॉमनवेल्थ गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता टोक्यो ओलिंपिक में पदक जीतने के दावेदार माने जा रहे थे। उनका आत्मविश्वास ऐसा था कि लोगों ने उन पर विश्वास किया और उनके पिछले प्रदर्शनों ने उन्हें मुक्केबाजी में पदक के सबसे मजबूत दावेदार होने की भविष्यवाणी की। टोक्यो में भारत को मिले सबसे बड़े झटके में से एक ये भी था कि ये मुक्केबाज अपने पहले दौर में 5-0 के अंतर से हार गया। हालांकि, बाद में उन्हें कंधे की चोट से पीड़ित बताया गया था, लेकिन उनसे पहले दौर में बाहर होने की उम्मीद नहीं थी।

अपूर्वी चंदेला और एलावेनिल वलारिवन

एलावेनिल वलारिवन (टोक्यो में विश्व नंबर 1) और विश्व रिकॉर्ड धारक अपूर्वी चंदेला अपने हालिया प्रदर्शन के कारण पदक के प्रमुख दावेदार थे, लेकिन निशानेबाजी दल ने टोक्यो में सभी भारतीय उम्मीदों को कम कर दिया। ये दोनों निशानेबाज भी सटीक निशाना नहीं लगा सके। एयर राइफल स्पर्धा में इलावेनिल 16वें स्थान पर रहीं, जबकि चंदेला ने क्रमशः 626.5 और 621.9 के स्कोर के साथ 36वां स्थान हासिल किया। युवा वलारिवन अपना पहला ओलिंपिक खेल रही थीं और उन्होंने खुद से भी बहुत उम्मीदें लगाई थीं, लेकिन सिंगल्स और टीम दोनों स्पर्धाओं में क्वालीफाई करने में उनकी विफलता ने सभी प्रशंसकों के लिए एक बड़ा झटका दिया।

विनेश फोगाट

महिला पहलवान विनेश फोगाट वर्ष 2021 में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली महिला पहलवानों में से एक थीं। विनेश फोगाट को कुश्ती में टोक्यो ओलिंपिक में अपने भार वर्ग में स्वर्ण पदक विजेता माना जा रहा था। टोक्यो में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए आने से पहले 4 स्पर्धाओं में 4 स्वर्ण पदक उन्होंने जीते थे। इसी वजह से विनेश फोगाट के पदक जीतने की मजबूत संभावना थी। विनेश चोट से उबरकर क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में सफल रहीं, लेकिन क्वार्टर फाइनल में बेलारूस की कलादज़िंस्काया से 0-5 से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गईं और इसने हर भारतीय दर्शक का दिल तोड़ दिया।

बी. साई प्रणीत

भारतीय पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी बी. साई प्रणीत पदक जीतने के प्रमुख दावेदारों में नहीं थे, लेकिन साई प्रणीत (टोक्यो में 13वीं वरीयता प्राप्त) को कम से कम आसान प्रतिस्पर्धियों, मिशा ज़िल्बरमैन और मार्क कैलजॉव के कारण कम से कम ग्रुप चरण में क्वालीफाइ करने की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वह ज़िल्बरमैन और कैलजॉव दोनों से हारकर समूह में सबसे निचले पायदान पर रहे। ये सभी बैडमिंटन प्रशंसकों के लिए एक चौंकाने वाला परिणाम था। यह भारतीय दल के लिए एक बड़ा झटका था। जहां उनकी हमवतन पीवी सिंधु ने कांस्य पदक जीता और पुरुषों की जोड़ी ने सनसनीखेज प्रदर्शन किया, वहीं प्रणीत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा

यशस्विनी देसवाल

10 मीटर एयर पिस्टल में महिलाओं में नंबर 1 रैंक यशस्विनी देसवाल ने भी देशवासियों को निराश किया। देसवाल से ओलिंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की उम्मीद थी, लेकिन वह क्वालीफाई राउंड में 13वीं रैंक हासिल कर पाईं और क्वालीफिकेशन में विफल रही। उनका 574 का स्कोर मनु से एक कम था और ओलिंपिक में क्वालीफिकेशन के लिए शूट करने के लिए पर्याप्त नहीं था। टोक्यो में भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन खराब रहा और यशस्विनी भी बड़े मंच पर लड़खड़ा गईं। वह अभिषेक वर्मा के साथ टीम इवेंट में भी क्वालीफिकेशन राउंड को पार नहीं कर सकीं।

दीपक पूनिया

दीपक पूनिया टोक्यो में कई अन्य भारतीय पहलवानों की तरह अपना पहला ओलिंपिक लड़ रहे थे। हालांकि, वह पुरुषों की फ्रीस्टाइल 86 किग्रा वर्ग में पदक जीतने वाले पसंदीदा खिलाड़ियों में से एक थे। दीपक पूनिया अपनी श्रेणी में फाइनल के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहे, क्योंकि उन्हें सेमीफाइनल में डेविड टेलर ने हराया था। नतीजतन, पुनिया ने कांस्य पदक मैच में अपनी जगह बनाई। पहलवान ने सैन मैरिनो के माइल्स एमाइन का सामना किया और मुकाबला उसके पक्ष में नहीं गया। वह प्रतियोगिता 2-4 से हार गए और पहले ओलिंपिक पदक से चूक गए।

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