नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। वक्त कितना भी कठिन क्यों न हो, चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों न हो, आखिरी वक्त तक उम्मीद और मैदान नहीं छोड़ते चैंपियन। टोक्यो में प्रस्तावित ओलंपिक 2021 में परचम फहराने के लिए कोरोना काल में भी अभ्यास में जुटे श्रेष्ठ भारतीय एथलीट्स पर अभिषेक त्रिपाठी की रिपोर्ट..
कोरोना महामारी के थपेड़ों के बीच खेलों का महाकुंभ ओलंपिक गोते लगा रहा है। चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने दुनियाभर में कहर बरपाया और उसका असर पिछले साल जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों पर भी पड़ा। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद और टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति ने तमाम झंझावातों से पार पाते हुए एक साल बाद 23 जुलाई, 2021 से इसका आयोजन तय किया है।
जापान में इसके आयोजन को लेकर अभी भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं, लेकिन इन सबसे दूर दुनियाभर के खिलाड़ी स्वर्णिम चमक को हासिल करने के लिए मेहनत में जुटे हैं, क्योंकि यह उनके लिए ही नहीं, समस्त दुनिया के लिए उम्मीदों का महाकुंभ है। इसका आयोजन दुनिया को बताएगा कि कोई भी वायरस हमें रोक नहीं सकता है, क्योंकि हममें जीतने की जिजीविषा आज भी जिंदा है।
भारत की उम्मीदें
इस महाकुंभ में 195 देशों सहित 206 टीमों के खिलाड़ियों के भाग लेने की संभावना है। आजादी के पहले 1900 में भारत ने पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग लिया था। इसके बाद 1920 में भारत का दल ओलंपिक में भाग लेने गया। 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक में भारत ने छह पदक जीतते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था, लेकिन वर्ष 2016 में रियो डि जेनेरियो में भारतीय दल सिर्फ दो पदक ही हासिल कर पाया। अब टोक्यो में भारतीय दल से काफी उम्मीदें हैं।
केंद्रीय खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ दावा कर रहा है कि इस बार हम दोहरी संख्या में पदक जीतेंगे। टोक्यो जाने वाले भारतीय एथलीटों में भी काफी दमखम नजर आ रहा है। इस बार टोक्यो ओलंपिक में जाने वाले एथलीटों के दल पर नजर डालें तो कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके पदक जीतने की संभावना बहुत है। इसमें भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधू, मुक्केबाज एम.सी. मैरी कॉम, अमित पंघाल और पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।
मुक्के का दम
हाल ही में एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली मुक्केबाज पूजा रानी (75 किलोग्राम) से भी देश को पदक की उम्मीदें हैं। वह अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। वहीं, पुरुष मुक्केबाजों में अमित पंघाल (52 किलोग्राम) के अलावा विकास कृष्ण (69 किलोग्राम) भी पदक के दावेदारों में से एक हैं।
अब दंगल होगा
कुश्ती में भी इस बार टीम काफी मजबूत नजर आ रही है। विनेश फोगाट (53 किलोग्राम) रियो ओलंपिक में चोट के कारण बाहर हो गई थीं। वह तब भी पदक की दावेदार थीं, लेकिन इस बार उनके पास अनुभव के साथ दमखम भी है। वह इस बार पदक लाने की तैयारी में पूरी तरह जुटी हुई हैं। वहीं विश्व में नंबर एक पहलवान रह चुके बजरंग पूनिया (65 किलोग्राम) भी अपने भार वर्ग में देश को पदक दिला सकते हैं। इनके अलावा दीपक पूनिया (86 किलोग्राम) से भी काफी उम्मीदें हैं।
निशाना जो लग जाए
सबसे ज्यादा पदकों की उम्मीद इस बार भारत की निशानेबाजी टीम से भी है। इस बार भारतीय निशानेबाजों का अब तक का सबसे बड़ा दल ओलंपिक में भाग लेने जा रहा है, जिसमें 10 मीटर एयर राइफल में उच्च रैंकिंग की खिलाड़ी एलावेनिल वालारिवान, अंजुम मौदगिल और अपूर्वी चंदेला शामिल हैं। वहीं, 10 मीटर एयर पिस्टल महिला की स्पर्धा में युवा खिलाड़ी मनु भाकर किसी से कम नहीं हैं। उनके नाम का भी एक पदक इंतजार कर रहा है। 10 मीटर एयर पिस्टल पुरुषों की स्पर्धा में सौरभ चौधरी और अभिषेक वर्मा भी पदक के हकदार माने जा रहे हैं।
थाम लिया उम्मीद का दामन
ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में बात करें तो भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा से भी देश को काफी उम्मीदें है। हालांकि, इसके लिए उन्हें अपने भाले को कम से कम 90 मीटर या उससे अधिक की दूरी पर फेंकना होगा। फिलहाल उनका भाला 88 मीटर तक के आंकड़े को ही छू पाया है। इसके अलावा इन स्पर्धाओं में देश को 20 किलोमीटर पैदल चाल में के.टी. इरफान, जबकि पुरुषों की लंबी कूद में मुरली श्रीशंकर से भी उम्मीदें रहेंगी। हालांकि, ये पदक जीत पाएंगे इस पर थोड़ा संदेह है, शेष हमारे खिलाड़ी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
बत्रा बनेंगी खतरा
टेबल टेनिस पर नजर डालें तो इसमें भी मनिका बत्रा, जी साथियान और शरत कमल जैसे धुरंधर खिलाड़ियों से सजी टीम से देश को पदक की उम्मीदें हैं। हालांकि, इन्हें ओलंपिक में पदक जीतने के लिए चीन के खिलाड़ियों से पार पाना होगा। इन सबके अलावा देश के लिए पहली बार ओलंपिक में चुने जाने वाले खिलाड़ी नौका चालक अर्जुन जाट, अरविंद सिंह, जिमनास्ट प्रणति नायक, तलवारबाज भवानी देवी, घुड़सवार फवाद मिर्जा पर भी सबकी नजरें होंगी।