राजनीति

महाराष्ट्र में इस बार विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो गए हैं, कई सीटों पर रिश्तेदार आमने-सामने

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में इस बार विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हो गए हैं। कई सीटों पर रिश्तेदार आमने-सामने हैं। इसमें भी सबसे रोचक लड़ाई बारामती सीट पर है, जहां डिप्टी सीएम अजित पवार का मुकाबला अपने भतीजे युगेंद्र से है। छह बार के विधायक और पिछले चुनाव में 1 लाख 69 हजार वोटों से जीते अजित के लिए यह चुनाव काफी आसाना होना चाहिए था। लेकिन युगेंद्र पवार के सामने आ जाने से बारामती में फाइट बिल्कुल टाइट है और अजित पवार के लिए करो या मरो के हालात बन गए हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में अजित यहां मुंह की खा चुके हैं। तब उन्होंने सुप्रिया सुले के खिलाफ अपनी पत्नी को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

दांव पर बहुत कुछ
अजित पवार के लिए इस चुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। पहले ही झटके खा चुके अजित अगर यहां हार जाते हैं उनकी सियासत ढलान की तरफ जाने लगेगी। इसकी झलक लोकसभा चुनाव में भी दिख चुकी है, जहां सुप्रिया सुले ने अजीत पवार की विधानसभा में भी अच्छी-खासी बढ़त बनाई थी। लोकसभा चुनाव में पत्नी की हार से अजित काफी दुखी थे। उन्होंने फैसला कर लिया था कि अब वह बारामती से कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि लोगों ने उनका काम पसंद नहीं किया। इसके बाद अजित के छोटे बेटे जय पवार को युगेंद्र के सामने उतारने की योजना बनी थी। लेकिन पार्टी द्वारा हुए दो सर्वे में इस बात के संकेत मिले थे कि जय पवार के सामने युगेंद्र बड़ी आसानी से जीत जाएंगे।

बदली है रणनीति
इस चुनाव में अजित पवार ने अपनी रणनीति भी बदली है। अब वह लोगों के बीच अधिक मुस्कुराते हैं। इतना ही नहीं, अजित ने अपना पहनावा भी बदला है। अब अजित पवार गुलाबी कपड़े पहनने पर अधिक जोर दे रहे हैं। हालांकि इसके बावजूद उनके लिए यह चुनाव आसान नहीं होने जा रहा है। वैसे तो अजित पवार की फैन फॉलोविंग बारामती में काफी है, लेकिन यह शहरी क्षेत्र में ज्यादा है। बारामती शहर के तमाम युवा और व्यवसायी अजित को ही वोट देने की बात कहते हैं। वहीं, तमाम लोगों का यह भी मानना है कि अजित पवार ने बारामती के लिए बहुत कुछ किया है।

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युगेंद्र पर शरद पवार का वरदहस्त
दूसरी तरफ युगेंद्र के पक्ष में सबसे बड़ी बात उनके ऊपर शरद पवार का वरदहस्त होना है। इसके चलते लोग युगेंद्र को अधिक गंभीरता से ले रहे हैं। शरद पवार ने भी यह स्पष्ट संकेत दिया है कि यह चुनाव युगेंद्र बनाम अजित पवार नहीं, बल्कि शरद पवार बनाम अजित पवार है। युगेंद्र के नामांकन के दिन भी यह स्पष्ट नजर आया था। शरद पवार नामांकन के वक्त युगेंद्र के साथ मौजूद थे। जबकि लोकसभा चुनाव में जब उनकी बेटी सुप्रिया नामांकन करने गई थीं तब शरद पवार नहीं थे।

शहरी वोटर बनाम ग्रामीण वोटर
यह बात स्पष्ट है कि इस चुनाव में परिणाम शहरी वोटर बनाम ग्रामीण वोटर से तय होगा। वोटरों को लुभाने के लिए अजित का परिवार भी मैदान में हैं। जहां पत्नी सुनेत्रा गांव के लोगों से बात कर रही हैं, वहीं बेटा जय भी मैदान में पूरी तरह से सक्रिय है। इसके अलावा अजित खुद बारामती के 59 गांवों की यात्रा पर निकले हुए हैं। अजित पवार लोगों से यह भी कह रहे हैं कि लोकसभा में ताई यानी सुले को जिताया तो अब विधानसभा में दादा यानी मुझे जिताएं। उन्हें यह भी उम्मीद है कि महायुति सरकार की लड़की बहिन योजना उनके पक्ष में काम करेगी। ऐसा होने पर इस विधानसभा क्षेत्र की 1.87 लाख महिला वोटर उनके लिए वोट कर सकती हैं।

KhabarBhoomi Desk-1

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