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यह प्रभु राम, कृष्ण की धरती है, यहाँ अतातायी औरंगजेब बाबर का कुछ नहीं : साध्वी सरस्वती

भोपाल
कुशाभाऊ ठाकरे फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक दिवसीय वैचारिक महाकुंभ में विभिन्न विचारकों और विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। इस कार्यक्रम में देशभर से 20 से अधिक प्रमुख वक्ताओं ने पांच सत्रों में अहम विषयों पर विचार प्रस्तुत किए, जिससे यह कार्यक्रम राष्ट्रवाद, सनातन धर्म, और समृद्ध भारत की दिशा में महत्त्वपूर्ण संवाद का केंद्र बन गया। उद्घाटन सत्र से लेकर अन्य सत्रों तक, यह कार्यक्रम राष्ट्रवाद, सनातन धर्म, और समृद्ध भारत की दिशा में महत्त्वपूर्ण संवाद का केंद्र बन गया।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य स्थिति के रूप में उपस्थित उप मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश राजेंद्र शुक्ल, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी,  भगवान दास सबनानी विधायक दक्षिण पश्चिम भोपाल,  और वरिष्ठ भाजपा नेता ध्रुव नारायण सिंह उपस्थित रहे कार्यक्रम के आयोजक अंशुल तिवारी ने कार्यक्रम की रुपरेखा रखते हुआ शुरुआत की।

राजेंद्र शुक्ल ने कहा कुशाभाउ ठाकरे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन एक ऐसे मिशन में लगा दिया जिसकी कल्पना भी उसे समय से आगे की थी. विदेश के अनसुलझे मामलों को सुलझाने का मिशन की तरह काम करने वाले चुनिंदा लोगों में से थे। वर्तमान भारत में ऐसे जागरूक आयोजन भारत के विकास में बाधा बनने वाली तथाकथित लिबरल मानसिकता को एक्सपोज करने का काम कर रहे हैं।
विश्वास सारंगजी ने अपने वक्तव्य में कहा भारत का इतिहास तो समृद्ध रहा लेकिन आक्रांताओं और अंग्रेजों ने जो हमारे देश की दशा की और गुलामी के बाद जब स्वतंत्र हुए गुलामी की मानसिकता कहीं ना कहीं देश में रह गई स्वतंत्रता के पश्चात हमने आधारभूत ढांचे पर काम किया सड़के बनाई  पुल बनाएं उद्योगों को बल देने पर चर्चा है कि किंतु "व्यक्ति निर्माण" इस पर कोई चर्चा नहीं एक आदर्श व्यक्ति कैसा हो जों देश को विकसित बनाने में अपनी भूमिका का निर्वाह कर सके। उद्घाटन सत्र में ही 4 विभूतियों को कुशाभाऊ ठाकरे राष्ट्ररत्न सम्मान दिए गये जिनमे कारगिल युद्ध में देश की अखंडता के लिए अपना हाथ और दोनों पैर गावाने वाले और ऑपरेशन रक्षक, विजय, पराक्रम में सहभागिता करने वाले रिटायर्ड लांस नायक दीपचंद जी, प्रभु श्री राम लाल अयोध्या के वस्त्रों को डिजाइन करने वाले ड्रेस डिजाइनर मनीष त्रिपाठी जी, जन्म से ही दृष्टिहीन पर एक मिनट में 52 वाद्य यँत्र बजाने का रिकॉर्ड बनाने वाली राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता, संगीत शिक्षिका योगिता तांबे, दिव्यांग अधिकार समर्थक, यूफेलिटी प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक टेडेक्स वक्ता एवं तकनीक परामर्शदाता श्री अनंत वैश्य जिन्होने प्रधनमंत्री द्वारा उन्नत कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है जो स्वयं दिव्यांग होने के नाते दिव्यांगों के अधिकारों के समर्थन का नेक कार्य भी करते है।

साध्वी सरस्वती देवी ने "सनातन धर्म: भारत की आत्मा और विश्व पर प्रभाव" विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति और धर्म का वैश्विक प्रभाव अब बढ़ता जा रहा है, और यह समय की आवश्यकता है कि हम अपने मूल्यों और धरोहरों को संरक्षित रखें।
हमारे सनातन धर्म में विविधता इसलिए है क्योंकि मानव जीवन का स्वाभाव ही कुछ ऐसा है। अगर आप शास्त्रों को पढ़ेंगे तो यह विविधता  की समझ स्वयं अनुभव करेंगे कि यह लोक हितार्थ बनाया गया है। लेकिन दुःख तो तब होता है जब लोग इतनी विराटता को छोड़कर पीर फकीर के पास अपनी पीड़ा लिए जाते है, आखिर इन्हें अपने इष्ट से ज्यादा विश्वास उन पर हो जाता है। आज हमारे सामने दो चुनौती है पहला कि अपने टूटे 33 हजार मंदिरों का पुनः स्थापना और सरकार के अधीन मंदिरों की व्यवस्था का स्वतंत्र संचालन करना, इसके लिए आवश्यक है हिन्दुओं का एकत्रीकरण।
वरिष्ठ लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक शांतनु गुप्ता ने कहा अभी विश्व का सबसे बड़ा जनसमागम सनातन एकता का महाकुम्भ सकुशल सम्पन्न हुआ। यहाँ मैं तो पहले एक पर्यटक के रूप में एक सप्ताह के लिए गया किन्तु एक महीने बाद श्रद्धालु बनकर लौटा और निश्चित ही वहाँ की अनुभूति से लगा कि हम इतनी वैज्ञानिकता का बोध होने के बाद भी जब अपने धर्मस्थलों पर जाते है तो यह दृष्टिकोण स्पष्ट होता है, भारतीय को पाप से डर लगता है यही भारत की सनातन आत्मा है।प्रसिद्ध फैशन डिजायनर एवं श्री रामलला के वस्त्र निर्माता मनीष त्रिपाठी ने कहा कि जब मैंने पढ़ाई पूर्ण की तो देश के कई लोकप्रिय एवं अतिविशिष्ट लोगों के वस्त्र डिजायन किया और भारतीय क्रिकेट टीम सहित इस तरह के कई प्रकार कम्पनियों के वस्त्र डिजाइन करते हुए काम किया किन्तु जो अनुभूति एवं सौभाग्य का सहज आभास प्रभु श्री राम लला के हेतु वस्त्र तैयार करने में हुई वह जीवन का सबसे अविस्मरणीय एवं अतुलनीय क्षण था। पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि इस वैचारिक मंथन से निकले हुए अमित को पूरे भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व को ग्रहण करना चाहिए

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