भोपाल
अतिक्रामकों से मुक्त कराई गई जमीन पर सु राज कालोनी बनाने के लिए सरकार ने नियम तय कर दिए हैं। इन भूमियों पर ईडब्ल्यूएस आवास बनाए जाएंगे। कमजोर वर्ग के लोगों को इस तरह की भूमि पर भूखंड, आवास निर्माण और सामुदायिक सुविधाएं दी जाएंगी। कालोनी बनाने के लिए सरकार बिल्डरों, सरकारी निर्माण एजेंसियों को जमीन देगी और इसके बदले किसी तरह का पैसा एजेंसियों को नहीं चुकाया जाएगा।
सरकार की ओर से दी गई जमीन के बदले कालोनी बनाने वाली एजेंसी अपनी लागत वसूल सकेगी। इसके लिए नियमों में साफ कहा गया है कि बगैर विभागीय बजट के रीडेंसीफिकेशन नीति के आधार पर ही आवास बनाए जाएंगे। इसके लिए चिन्हित किए गए स्टेकहोल्डर को जमीन निर्माण के लिए आवंटित कर सकेगी। यह नियम एक अप्रेल 2020 या उसके बाद मुक्त कराई गई शासकीय भूमि पर ही लागू होंगे। इसके लिए नगरीय विकास और आवास विभाग नोडल विभाग के तौर पर काम करेगा।
सु राज कालोनी बनाने के लिए शासन द्वारा तीन विकल्प तय किए गए हैं। इसके अंतर्गत संबंधित भूमि के एक भाग का उपयोग भवन, फ्लैट, प्लाट के रूप में किया जा सकेगा। इसके निर्माण की लागत के अनुरूप मूल्य के सीएलपी को डेवलपर द्वारा भू स्वामी अधिकार के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। एक अन्य विकल्प में कहा गया है कि सम्पूर्ण भूमि को सीएलपी के रूप में उपयोग किया जा सकता है
यानी सु राज कालोनी के लिए तय भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई भूमि से अन्यत्र हो सकी है। मुक्त कराई भूमि को सीएलपी के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। तीसरे विकल्प में कहा गया है कि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई सम्पूर्ण भूमि पर कमजोर वर्ग के लिए सु राज कालोनी बनाई जा सकेगी।
इन्हें बनाया जा सकेगा पर्यवेक्षण एजेंसी
योजना के सुपरविजन के लिए जो विभाग एजेंसी के रूप में काम कर सकेंगे उनमें हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण, नगरीय निकाय, पीडब्ल्यूडी की परियोजना क्रियान्वयन इकाई, सड़क विकास निगम और भवन विकास निगम, स्मार्ट सिटी एसपीवी, पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन शामिल हैं। इसके अलावा साधिकार समिति किसी अन्य संस्था को भी सुपरविजन एजेंसी के रूप में जिम्मेदारी सौंप सकती है।
सीएस की कमेटी तय करेगी पीपीआर और डीपीआर
सु राज कालोनी के लिए तय की जाने वाली जमीन पर तैयार होने वाली परियोजना को लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति स्वीकृति देगी। समिति में मुख्य सचिव के अलावा प्रमुख सचिव राजस्व, वित्त, लोक निर्माण, नगरीय विकास और आवास, वाणिज्यिक कर, लोक परिसंपत्ति विभाग, आयुक्त गृह निर्माण और अधोसंरचना मंडल, आयुक्त नगर व ग्राम निवेश और संबंधित जिला कलेक्टर होंगे।
इसमें जिला स्तरीय आंकलन और परियोजना समिति की अनुशंसा और पर्यवेक्षण समिति द्वारा तैयार प्रारंभिक परियोजना प्रतिवेदन (पीपीआर) का अनुमोदन किया जाएगा। इसके साथ विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) और त्रिपक्षीय एग्रीमेंट व अन्य वैधानिक शर्तों को पूरा कराया जाएगा।
ऐसे ली जाएगी आवंटियों से राशि
नियमों में कहा गया है कि इस कालोनी के आवासों का निर्माण होने के बाद पर्यवेक्षण एजेंसी द्वारा आवासों का आवंटन किया जाएगा। निर्माण शुरू होने के बाद इसकी आवंटन राशि चार किस्तों में ली जा सकेगी। अगर कालोनी की भूमि का हस्तांतरण प्लाट के रूप में किया जाता है तो पर्यवेक्षण एजेंसी आवंटियों की सूची तैयार कर कलेक्टर के माध्यम से भूमि स्वामी आधार पर हस्तांतरित कराएगी।
इन कालोनियों के बनने के बाद तीन सालों तक डेवलपर को लिफ्ट, कारिडोर, सीढ़ियों की लाइट, जल प्रदाय व्यवस्था, जल मल निकासी और सफाई, पार्क व पार्किंग के रख रखाव आदि की मरम्मत और संचालन की जिम्मेदारी निभानी होगी। तीन साल बाद रहवासी कल्याण समितियां इसका जिम्मा संभालेंगी।
ये होंगे जिला स्तरीय आंकलन व परियोजना समिति में
जिला स्तरीय आंकलन और परियोजना समिति में कलेक्टर अध्यक्ष होंगे और लोक निर्माण विभाग, पर्यवेक्षण एजेंसी के कार्यपालन यंत्री स्तर के अधिकारी, टीएनसीपी उपसंचालक, एसपी, आयुक्त नगर निगम या सीएमओ नगरपालिका, विभाग के जिला प्रमुख जिनकी भूमि पर सु राज योजना लागू होना है।