किबिथू
अरुणाचल प्रदेश में अमित शाह ने चीन को साफ संकेत देते हुए कहा है कि कोई भी हमारी सीमा पर आंख उठाकर नहीं देख सकता है. वो जमाना चला गया जब भारत की भूमि पर अतिक्रमण कर सकते थे. 1962 की लड़ाई में जो आए थे उनको वापस जाना पड़ा, इसका कारण आपकी देशभक्ति है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश के किबिथू में 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' और विभिन्न विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस वक्त अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं. दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश के किबिथू इलाके में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत की. इससे सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आएगा. साथ ही पलायन रोकने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिहाज से भी 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' काफी अहम माना जा रहा है. बता दें कि अरुणाचल का किबिथू गांव चीन से सटा हुआ है. अमित शाह की वाइब्रेंट विलेज योजना पर 4800 करोड़ रुपये खर्च होंगे. उनका दौरा काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि हाल में चीन ने अरुणाचल के 11 स्थानों के नाम बदल दिए थे.
अमित शाह के इस दौरे से चीन बौखला गया है. चीन का कहना है कि भारत के गृह मंत्री के अरुणाचल प्रदेश दौरे से उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है. चीन ने अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश दौरे की आलोचना भी की है. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि चीन भारत के गृह मंत्री की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा का दृढ़ता से विरोध कर रहा है और क्षेत्र में उनकी गतिविधियों को बीजिंग की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन मानता है.
अमित शाह की यात्रा से बौखलाया चीन
बता दें कि चीन ने हाल ही में कुछ स्थानों का नाम बदल दिया है, जो कि भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थित हैं. लेकिन चीन उन इलाकों पर अपना दावा करता है. भारतीय गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा पर एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘जंगनान चीन का क्षेत्र है. भारतीय अधिकारी की जंगनान यात्रा चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है और सीमा की स्थिति और शांति के लिए अनुकूल नहीं है.’
उसी जगह पहुंचे अमित शाह जिसपर चीन करता है अपना दावा
गृह मंत्री अमित शाह की यह यात्रा अरुणाचल प्रदेश में चीन के मंसूबों का जवाब है क्योंकि यह उसी क्षेत्र में है जिस पर चीन आए दिन अपना दावा करता है. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का उद्देश्य उत्तरी सीमा के अपने हिस्से में स्थायी गांवों को प्रोत्साहित करना है.
‘सुई की नोक जितनी जमीन भी कोई नहीं ले सकता’
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरुआत के दौरान अमित शाह ने कहा कि भारत की जमीन को हथियाने का जमाना अब चला गया है. शाह ने बिना नाम लिए चीन पर हमला करते हुए कहा कि सुई की नोक जितनी जमीन भी कोई नहीं ले सकता.
क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम?
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (Vibrant Villages Programme) का मुख्य उद्देश्य भारतीय सीमा से जुड़े गांवों में विकास को बढ़ावा देना है. इसके लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 के लिए सड़क संपर्क के लिए विशेष रूप से 2500 करोड़ रुपये सहित 4800 करोड़ रुपये के केंद्रीय योगदान के साथ ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (वीवीपी) को मंजूरी दी है. वीवीपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसके तहत व्यापक विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की पहचान की गई है. पहले चरण में, प्राथमिकता के आधार पर 662 गांवों की पहचान की गई है, जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव शामिल हैं.
VVP से क्या फायदा?
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम पहचान किए गए सीमावर्ती गांवों के लोगों के जीवनस्तर में सुधार करने में मदद करेगा और उन्हें अपने मूल स्थानों पर रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे इन गांवों से पलायन रुक सके और सीमा की सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिल सके. ब्लॉक और पंचायत स्तर पर उपयुक्त तंत्र की मदद से जिला प्रशासन, केंद्र और राज्य प्रायोजित योजनाओं पर 100% अमल को सुनिश्चित करने के लिए चिन्हित गांवों के लिए कार्य योजना तैयार करेगा.
गांवों के विकास के लिए पहचान किए गए फोकस क्षेत्रों में सड़क संपर्क, पेयजल, सौर और पवन ऊर्जा सहित बिजली, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटन केंद्र, बहुउद्देश्यीय केंद्र और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा और स्वास्थ्य कल्याण केंद्र शामिल हैं.
अरुणाचल की सीमा को लेकर विवाद
विवादित सीमा पर चीन और भारत के बीच कई झड़पें हुई हैं और हाल के वर्षों में पर्वतीय क्षेत्रों में हुई झड़पों ने संबंधों को गंभीर रूप से तनावपूर्ण बना दिया है.
चीन ने 11 इलाकों के बदले नाम
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ही चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे को पुख्ता करने के मद्देनजर नया हथकंडा अपनाया था. चीन ने तीन भाषाओं चीनी, तिब्बती और पिनयिन में अरुणाचल प्रदेश के नामों की तीसरी लिस्ट जारी की थी. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नामों की लिस्ट जारी की थी. इन 11 स्थानों में दो भूमि क्षेत्र, दो रिहायशी इलाके, पांच पर्वती चोटियां और दो नदियां शामिल हैं.
चीन के दावों को सिरे से खारिज करता आया भारत
हालांकि भारत चीन के इस दावे को शुरू से खारिज करते आया है और इन नाम बदलने वाली सूचियों को भी भारत ने हमेशा खारिज ही किया है. भारत का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा. अरुणाचल प्रदेश के नाम बदल देने से तथ्य नहीं बदलेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दिसंबर 2021 में कहा था कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में इस तरह से स्थानों के नाम बदलने का प्रयास किया है.
उन्होंने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा. अरुणाचल प्रदेश में स्थानों को गढ़े गए नाम देने से यह तथ्य नहीं बदल जाता.
पहली लिस्ट 2017 में जारी हुई थी
चीन द्वारा जगहों के नाम बदलकर जारी की जाने वाली यह तीसरी लिस्ट है. इससे पहले 2017 में अरुणाचल प्रदेश के छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली लिस्ट जारी की गई थी. 2017 में दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे के कुछ दिन बाद ही चीन ने पहली लिस्ट जारी की थी. चीन ने दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा की काफी आलोचना की थी.
इसके बाद 2021 में चीन ने अरुणाचल के 15 स्थानों की दूसरी लिस्ट जारी की थी. चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने चीनी एक्सपर्ट्स के हवाले से रिपोर्ट में बताया कि अरुणाचल प्रदेश के नामों का ऐलान एक वैध कदम है. यह भौगोलिक नामों को मानकीकृत करने का चीन का संप्रभु अधिकार है.
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के बाद 2017 में चीन द्वारा नामों की पहली सूची की घोषणा की गई थी. चीन ने उनकी यात्रा की काफी आलोचना की थी. अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के साथ लंबे समय से सीमा विवाद है. भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश की करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर चीन अपना दावा करता है. जबकि, भारत की ओर से साफ किया जा चुका है कि अरुणाचल भारत का अटूट हिस्सा है और रहेगा. उसके बावजूद चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता.