नई दिल्ली
गर्भ में पल रहे शिशु में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। अमेरिकी स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि कोरोना संक्रमण की वजह से दो बच्चों के ब्रेन डैमेज हो गए। यह बात सामने आई है कि संक्रमण ने महिला से गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित किया और उनका ब्रेन डैमेज कर दिया। इस घटना में एक शिशु की महज 13 महीने में ही मौत हो गई। शव परीक्षण में भी इस बात की पुष्टि हुई है। अध्ययन के मुताबिक, दुनिया में इस तरह का यह पहला मामला है। पीडियाट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित मियामी विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार, दोनों बच्चों का जन्म उन माताओं से हुआ था, जो 2020 की दूसरी तिमाही में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के वक्त पॉजिटिव पाए गए थे। यह वह वक्त था, जब कोरोना टीका बाजार में उपलब्ध नहीं था। जिस दिन उन बच्चों का जन्म हुआ, उसी दिन दोनों बच्चों को दौरा पड़ा और उनका मानसिक विकास धीरे-धीरे हुआ। शोधकर्ताओं ने कहा कि जहां एक बच्चे की 13 महीने की उम्र में मृत्यु हो गई, वहीं दूसरे को धर्मशाला में रखा गया है।
बच्चे में कोरोना का खतरा कितना
रॉयटर्स के अनुसार, मियामी विश्वविद्यालय में बाल रोग विशेषज्ञ और सहायक प्रोफेसर डॉ मर्लिन बेनी ने कहा कि किसी भी बच्चे में कोरोना वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण नहीं किया गया, लेकिन उनके रक्त में कोविड एंटीबॉडी का उच्च स्तर था। इससे पता चलता है कि वायरस मां से प्लेसेंटा और फिर बच्चे में स्थानांतरित हो सकता है। शोधकर्ताओं को दोनों माताओं के गर्भनाल में वायरस के प्रमाण मिले हैं। डॉक्टर बेनी ने कहा कि मरने वाले बच्चे के मस्तिष्क का परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान मस्तिष्क में वायरस पाया गया है। पता चलता है कि संक्रमण के कारण ब्रेन डैमेज हुआ है।।
बच्चों की मां पर संक्रमण
अध्ययन के अनुसार, दोनों शिशुओं की माताओं पर कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। एक में केवल हल्के लक्षण थे और पूरे नौ महीने के बाद ही महिला की डिलीवरी हुई। जबकि, दूसरी मां कोरोना संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित हुई। महिला की हालत इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों को 32 सप्ताह में डिलीवरी करनी पड़ी।
गर्भवतियों के लिए सलाह
मियामी विश्वविद्यालय में एक प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शहनाज दुआरा ने कहा कि उनका मानना है कि मामले दुर्लभ थे। लेकिन उन महिलाओं से आग्रह किया जो गर्भावस्था के दौरान संक्रमित हुई थीं, वे अपने बच्चों के बाल रोग विशेषज्ञों को विकास संबंधी देरी की जांच करने के लिए सूचित करें। समाचार एजेंसी के अनुसार, "हम जानते हैं कि सात या आठ साल की उम्र तक चीजें काफी सूक्ष्म हो सकती हैं, जब तक कि बच्चे स्कूल नहीं जाते।"