नईदिल्ली
लोकसभा चुनाव 2024 में कुछ ही महीनों का समय बाकी रह गया है. ऐसे में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने रणनीति के तहत केंद्र की मोदी सरकार को घेरने में जुट गईं हैं. वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने विपक्ष के मुद्दों पर ही अख्तियार रुख अपना लिया है. उन्होंने 8 दिन में सावरकर, अडानी, पीएम की फर्जी डिग्री मामले पर अपनी राय रखी. ये वही मुद्दे हैं, जिन पर विपक्ष लगातार केंद्र पर निशाना साध रहा था.
शरद पवार के ये बयान जहां बीजेपी के लिए बड़ी राहत हैं, तो वहीं विपक्ष के कड़े तेवरों की हवा निकालने वाले. आईए जानते हैं कि आखिर शरद पवार ने इन मुद्दों पर क्या कहा और इन बयानों को विपक्ष के लिए क्यों बड़ा झटका माना जा रहा है.
विनायक दामोदर सावरकर: राहुल गांधी अक्सर विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने हाल ही में लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी सावरकर पर बयान दिया था. राहुल से सवाल किया गया कि लोग कहते हैं कि राहुल गांधी माफी मांग लेते, तो राहुल गांधी क्या सोचते हैं. इस सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है. गांधी किसी से माफी नहीं मांगता.
राहुल के इस बयान पर देश की सियासत गरमा गई. जहां बीजेपी ने इस मुद्दे पर राहुल और कांग्रेस पर निशाना साधा. तो वहीं, उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ने तक की चेतावनी तक दे डाली थी. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
कांग्रेस और उद्धव गुट के बीच बढ़ती दरार को देखते हुए NCP नेता शरद पवार शांतिदूत के रूप में उतरे. उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ बैठक की और इस दौरान राहुल को ऐसे बयानों से बचने की नसीहत दी. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने बैठक में आश्वासन दिया कि वह सावरकर का संदर्भ देने से बचेंगे.
शरद पवार ने खुले मंच से की सावरकर की तारीफ
शरद पवार ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ''आज सावरकर कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है, यह पुरानी बात है. हमने सावरकर के बारे में कुछ बातें कही थीं लेकिन वह व्यक्तिगत नहीं थी. यह हिंदू महासभा के खिलाफ था. लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. हम देश की आजादी के लिए सावरकर जी द्वारा दिए गए बलिदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते.''
उन्होंने कहा, करीब 32 साल पहले उन्होंने सावरकर के प्रगतिशील विचारों के बारे में संसद में बात की थी. सावरकर ने रत्नागिरी में एक घर बनवाया और उसके सामने एक छोटा मंदिर भी बनवाया. उन्होंने वाल्मीकि समुदाय के एक व्यक्ति को मंदिर में पूजा करने के लिए नियुक्त किया. मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही प्रगतिशील चीज थी.
कौन थे सावरकर?
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 में हुआ था. हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले सावरकर हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक थे पर वो जाति व्यवस्था के विरोधी थे. यहां तक कि गाय की पूजा को उन्होंने नकार दिया था. उन्होंने गौ पूजन को अंधविश्वास करार दिया था.
सावरकर को लेकर कई किताबें लिखी गईं, इनमें देश और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को लेकर काफी जानकारियां मिलती हैं. इनके मुताबिक, वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे. वे न केवल स्वाधीनता संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे बल्कि क्रांतिकारी, चिंतक, लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे.
वीर सावरकर को अंग्रेजों ने काला-पानी की सजा सुनाते हुए अंडमान की सेलुलर जेल भेज दिया था. 10 साल बाद वे जेल से बाहर आ गए. सावरकर को लेकर दूसरा पक्ष दावा करता है कि उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी.
शरद पवार की अडानी मुद्दे पर विपक्ष से अलग राय
हाल ही में संसद का बजट सत्र खत्म हुआ है. यह पूरा सत्र हंगामे के भेंट चढ़ गया. सदन में 19 विपक्षी पार्टियों ने अडानी के मुद्दे पर जेपीसी की मांग करते हुए मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. राहुल गांधी भी लगातार सदन के अंदर और बाहर से इस मुद्दे पर सरकार को घेरते नजर आए. लेकिन शरद पवार ने इस मुद्दे पर अलग स्टैंड लिया.
शरद पवार ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में हिंडनबर्ग रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, ''इस शख्स ने पहले भी ऐसे बयान दिए थे और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था. लेकिन इस बार जरूरत से ज्यादा तवज्जो इस मुद्दे को दे दी गई है. वैसे भी जो रिपोर्ट आई, उसमें दिए बयान किसने दिए, उसका क्या बैकग्राउंड है. जब वो लोग ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनसे देश में बवाल खड़ा हो, इसका असर तो हमारी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता है. लगता है कि ये सबकुछ किसी को टारगेट करने के लिए किया गया था.''
पवार ने अडानी मसले पर JPC की मांग को झटका देते हुए कहा था कि ये निष्पक्ष नहीं होगा क्योंकि 21 में 15 सदस्य सत्ता पक्ष के होंगे.
शरद पवार के इस बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि एनसीपी का अपना कोई स्टैंड हो सकता है, लेकिन 19 विपक्षी पार्टियां ये मानती हैं कि अडानी मुद्दा गंभीर है. मैं ये भी साफ करना चाहता हूं कि एनसीपी और दूसरे विपक्षी दल हमारे साथ ही खड़े हैं, सभी साथ मिलकर लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं और बीजेपी की बंटवारे वाली राजनीति को हराना चाहते हैं.
क्या है अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दा?
अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने पिछले दिनों गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर मार्केट में हेरफेर और अकाउंट में धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है. हालांकि, गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी ग्रुप ने आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया था. उन्होंने दावा किया कि इस रिपोर्ट में जनता को गुमराह किया गया.
अब AAP के फर्जी डिग्री मामले की निकाली हवा
दिल्ली और पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी इन दिनों पीएम मोदी की डिग्री को मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमलावर है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेता लगातार प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल खड़े कर रहें है. हाल ही में मनीष सिसोदिया ने भी तिहाड़ से पत्र लिखकर पीएम मोदी की डिग्री का मुद्दा उठाया था. AAP ने रविवार को ही 'डिग्री दिखाओ कैंपेन' शुरू किया जिसके तहत पार्टी के नेता हर दिन लोगों के सामने जाकर अपनी शैक्षिक योग्यता साझा करेंगे.
आप ने लोकसभा चुनाव से पहले जहां इस मुद्दे को जोर शोर से उठाने का फैसला किया है, तो वहीं पवार ने साफ कर दिया कि PM की डिग्री राजनीतिक मुद्दा नहीं है. ऐसे में पवार का यह बयान AAP की इस मुहिम को तगड़ा झटका माना जा रहा है.
शरद पवार ने कहा, '' देश के सामने डिग्री का सवाल है क्या, आपकी डिग्री क्या है, मेरी डिग्री क्या है, क्या ये राजनीतिक मुद्दा है? बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई ऐसे कई सवाल हैं और इन मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमला करना ही चाहिए. आज धर्म जाति के नाम पर लोगों में दूरियां पैदा की जा रही हैं, महाराष्ट्र में बेमौसम बरसात की वजह से फसलें बर्बाद हो गईं, इसपर चर्चा जरूरी है.''
इससे पहले एनसीपी नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार भी पीएम की डिग्री को मुद्दे को बेबुनियाद करार दे चुके हैं. अजीत पवार ने कहा था, 'जहां तक राजनीति में शिक्षा का संबंध है, इसे बहुत महत्व नहीं माना जाता है. महाराष्ट्र में 4 ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो वसंतदादा पाटिल की तरह ज्यादा शिक्षित नहीं थे लेकिन यह प्रशासन कौशल सबसे अच्छा था.'
महाराष्ट्र में कितनी पावरफुल पवार की पार्टी?
शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी. वहीं, 2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में एनसीपी तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. एनसीपी ने 54 सीटों पर जीत हासिल की थी. शिवसेना के उद्धव और शिंदे गुट में बंटने के बाद एनसीपी राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.