लखनऊ
हड़ताल के दौरान विभागीय कार्यवाही की जद से बचे रहे हड़ताल में शामिल बिजली कर्मियों की पहचान और उनके खिलाफ कार्यवाही करने की प्रक्रिया पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने शुरू किया है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के जिलों में हड़ताल के दौरान ब्लैक आउट जैसी स्थिति रहने की शिकायत को प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है। इस संबंध में मिली शिकायत के आधार कार्यवाही करने का आदेश एमडी दक्षिणांचल को दिया गया है।
उ.प्र. पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने पांच अप्रैल को इस संबंध में एक आदेश प्रबंध निदेशक दक्षिणांचल को भेजा है। जिसमें एक अधिवक्ता द्वारा 26 मार्च को भेजे गए शिकायती पत्र का हवाला देते हुए जांच कराकर कार्यवाही करते हुए आख्या भेजने का जिक्र है। अलीगढ़ निवासी अधिवक्ता ने हड़ताल के दौरान दक्षिणांचल के जिलों में कार्मिकों के धरना-प्रदर्शन से संबंधित 18 फोटो भी शिकायती पत्र के साथ संलग्न किए गए हैं।
अधिवक्ता द्वारा मुख्यमंत्री को संबोधित शिकायती पत्र में लिखा गया है कि दक्षिणांचल के तहत आने वाले कुछ जिलों में हड़ताल के दौरान ब्लैक आउट जैसी स्थिति रही। प्रबंध निदेशक की लापरवाही के कारण हड़ताल सक्रिय रही। जिससे सामान्य जनजीवन हड़ताल से अस्त-व्यस्त रहा। दक्षिणांचल मुख्यालय आगरा में ही कई बिजली घर बंद पड़े थे। संघ के कई पदाधिकारियों का नाम देते हुए उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं किए जाने का जिक्र किया है। यह भी लिखा है कि बांदा जिले के सभी उपकेंद्र हड़ताल के दौरान बंद रहे। एटा, अलीगढ़, फर्रूखाबाद आदि जिलों में हड़ताल से उत्पन्न स्थिति की जानकारी शिकायती पत्र के माध्यम से दी है।
समिति ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मंत्री को लिखा पत्र
दूसरी तरफ 3 अप्रैल को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखकर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही वापस नहीं लेते हुए उत्पीड़न की नई कार्यवाहियां निरंतर जारी रखने का आरोप लगाया था। समिति ने उत्पीड़न की कार्यवाहियां बंद कराने के साथ ही वार्ता के लिए समय देने की मांग की थी।