नई दिल्ली
ऑटो डीलरों के निकाय फाडा ने कहा कि यात्री वाहनों, दोपहिया और ट्रैक्टर सहित सभी खंडों में मजबूत मांग के कारण मई में वाहनों की खुदरा बिक्री 10 प्रतिशत बढ़ी।
आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने वाहनों की कुल बिक्री बढ़कर 20,19,414 इकाई हो गई, जो मई 2022 में 18,33,421 इकाई थी। मई में यात्री वाहनों की बिक्री चार प्रतिशत बढ़कर 2,98,873 इकाई हो गई, जो एक साल पहले इसी अवधि में 2,86,523 इकाई थी।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अध्यक्ष मनीष राज सिंघानिया ने कहा कि लंबित ऑर्डर सूची के साथ ही वाहनों की उपलब्धता बढ़ने तथा नई पेशकश से मांग मजबूत हुई।
समीक्षाधीन महीने में दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री नौ प्रतिशत बढ़कर 14,93,234 इकाई हो गई, जो मई 2022 में 13,65,924 इकाई थी। वाणिज्यिक वाहनों की खुदरा बिक्री पिछले महीने सात प्रतिशत बढ़कर 77,135 इकाई रही। दूसरी ओर तिपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री में 79 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी हुई। ट्रैक्टर की बिक्री 10 प्रतिशत बढ़ी।
बीते महीने सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में 13 वर्षों की दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि : पीएमआई
नई दिल्ली
भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि मई में थोड़ी कम हुई, हालांकि इस दौरान पिछले 13 साल में दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एक मासिक सर्वेक्षण में कहा गया कि मांग की अनुकूल स्थिति और नए ग्राहकों की मदद से यह जीत हुई।
मौसमी रूप से समायोजित एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक मई में 61.2 अंक पर रहा। यह आंकड़ा अप्रैल में 62 पर था। अप्रैल के मुकाबले मई में गतिविधियों में गिरावट के बावजूद सेवा उत्पादन में जुलाई 2010 के बाद से दूसरी सबसे तेज वृद्धि हुई।
सेवा गतिविधि सूचकांक लगातार 22वें महीने से 50 से ऊपर बना हुआ है। खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब है कि गतिविधियों में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दर्शाता है।
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की संयुक्त निदेशक पोलियाना डी लीमा ने कहा, ”मई के पीएमआई आंकड़े मौजूदा मांग में लचीलापन, प्रभावशाली उत्पादन वृद्धि और भारत के गतिशील सेवा क्षेत्र में रोजगार सृजन को दर्शाते हैं।” उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों ने अपने कार्यबल का विस्तार किया। कंपनियां अगले 12 महीनों में व्यावसायिक गतिविधि में वृद्धि के लिए उत्साहित हैं।
सऊदी अरब के तेल उत्पादन घटाने से भारत में कीमत समीक्षा में होगी देरी
नई दिल्ली
सऊदी अरब के तेल उत्पादन में कटौती करने की घोषणा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट थम सकती है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि ऐसे में भारत में ईंधन की कीमत समीक्षा में देरी होगी।
सऊदी अरब ने कहा था कि वह जुलाई से तेल उत्पादन में प्रतिदिन 10 बैरल की कटौती करेगा। दूसरी ओर ओपेक और अन्य उत्पादक देश आपूर्ति में की गई कटौती को 2024 के अंत तक बढ़ाने पर सहमत हुए।
इस फैसले के कारण सोमवार को तेल की कीमतों में एक डॉलर प्रति बैरल से अधिक की बढ़ोतरी हुई। ब्रेंट क्रूड वायदा 78.73 डॉलर प्रति बैरल के ऊपरी स्तर पर पहुंचने के बाद शुरुआती कारोबार में 1.51 डॉलर या दो प्रतिशत की तेजी के साथ 77.64 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था।
यह तेजी भारत के लिए आयातित कच्चे तेल की कीमतों में आई नरमी को पटल देगी। पिछले दिनों भारत को आयातित तेल के लिए औसतन 72 डॉलर प्रति बैरल की दर से भुगतान करना पड़ रहा था। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की जा सकती है।
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ”सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई कर रही थीं। पिछले महीने, अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें और खुदरा बिक्री मूल्य बराबर हो गए थे। अब कीमतें बढ़ने के साथ, लागत और बिक्री मूल्य में फिर अंतर आ जाएगा।”
भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात से पूरा करना है और ईंधन कीमतें अंतरराष्ट्रीय दरों से प्रभावित होती हैं। राष्ट्रीय राजधानी में पेट्रोल की कीमत 96.72 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 89.62 रुपये प्रति लीटर है।