
भारत समेत दुनिया के कई देश हैं जहांं पर महिलाएं पूरी तरह से या तो अपने परिवार पर निर्भर रहती हैं और शादी के बाद अपने पति पर आर्थिक तौर पर डिपेंड रहती हैं। विवाहित महिलाओं को शादी के बाद आर्थिक रूप से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है, जब उनका पति या परिवार साथ नहीं देता है। तब फाइनेंशियल रूप से महिलाएं जो परिवार और पति पर निर्भर थी, काफी कमजोर हो जाती हैं। अपने भरण-पोषण के लिए उनको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर महिला विवाहित है , या फिर अनमैरिड है, विधवा, वैवाहिक स्थिति अच्छा ना होना इस सब मामलों में महिलाओं को आर्थिक आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना काफी जरूरी हो जाता है।
एक फाइनेंशियल विमेन अपना जीवन खुद अपने तरीके से जीने के लिए फ्री होती है। उसे पैसों या आर्थिक रूप से किसी का दबाव नहीं होता। अपनी मर्जी से अपने शौक भी पूरा करती है। यहां पर हम आपको कुछ ऐसे रूल्स और टिप्स बता रहे हैं जिससे आप शादी के बाद फाइनेंशियल इंडिपेंडेंट रह सकती हैं। आपको किसी दूसरे पर पैरासाइट होने की जरूरत नहीं होगी।
वर्किंग विमेन बनकर पाएं पूरा सम्मान
गृहणी घर के जितने भी काम कर ले, उसे कभी पूरा सम्मान नहीं मिलता है। लेकिन घर संभालने के साथ अगर आपने ऑफिस ज्वाइन किया है, पैसे कमा रही हैं तो आपको आपके पति की तरफ से सम्मान के साथ ही परिवार, करीबियों और रिश्तेदारों से भी पूरा सम्मान मिलता है।
आर्थिक आजादी से महिलाएं होती हैं आत्मविश्वास से लबरेज
जब आप खुद अर्निंग करती हैं और किसी पर निर्भर नहीं होतीं, खास तौर से अपने पति पर, वो अपनी एक अलग पहचान बना लेती हैं। आर्थिक आजादी से महिलाएं शादी के बाद आत्मविश्वास से लबरेज रहती है, उनको किसी भी आर्थिक काम में पति से परमीशन की जरूरत नहीं पड़ती है। साथ ही आगे बढ़ने की प्रेरणा बनी रहती है।
परिवार के लिए मददगार
शादी के बाद परिवार को चलाने के लिए खर्चे भी बढ़ जाते हैं। ऐसे में आप वर्किंग या बिजनेस विमेन कर अपने पति और परिवार की आर्थिक रूप से मदद कर सकती हैं। जब आप किसी पर निर्भर नहीं होती तो घर का बजट बनाने में आपको किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है। आप वर्किंग विमेन बन कर अपनी और अपने परिवार की जरूरतों का खयाल रख सकती है।
सभी के लिए रोल मॉडल
एक वर्किंग मदर अपने बच्चों के लिए भी रोल मॉडल होती है। बच्चे ये जानते हैं कि उनकी मां घर के कामों के साथ ही ऑफिस के काम भी करती है। घर की फाइनेंशियल तरीके से मदद करती हैं। बच्चे भी जो खर्चों के लिए अपने पिता पर निर्भर नहीं रहते हैं, वो सीधे मां से जाकर अपनी पॉकेट मनी मांग सकते हैं।
तलाक और पति की मौत के बाद दूसरों पर निर्भरता कम
महिला के तलाक के बाद या पति की मौत के बाद, महिला सबसे ज्यादा मजबूर आर्थिक रूप से हो जाती है। उसे अपने और अपने बच्चों के लिए अच्छी जिंदगी देने के लिए दूसरों पर निर्भर होना पड़ जाता है। इसलिए ये काफी जरूरी है कि हर महिला को आर्थिक रूप से जरूर स्वतंत्र होना चाहिए।
महिलाओं की मेंटल हेल्थ के लिए
जब एक महिला आर्थिक रूप से स्वतंत्र होती है तो वो किसी पर निर्भर नहीं होती जो उसकी यूएसपी होता है। खुद की इनकम से वो अपने ऊपर खर्च करती है। अपनी मनमर्जी से घूम सकती है। आगे पढ़ने की इच्छा रखने के लिए किसी अच्छे कोर्स में इनरोल हो सकती है। ये हर महिला में क्षमता की भावना पैदा करता है। इसलिए शादी के बाद अपनी नौकरी कभी ना जोड़े। अगर आप बिजनेस विमेन हैं तो अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए नये आइडिया डेवलप करती रहें।