रायपुर
अर्पण कल्याण समिति द्वारा सेक्टर-1, बजाज कालोनी न्यू राजेन्द्र नगर में संचालित अर्पण दिव्यांग पब्लिक स्कूल में पुरातत्वीय मूर्ति निर्माण प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन कार्यक्रम शनिवार को हुआ। पुरातत्व एवं अभिलेखागार विभाग ने स्कूल के मूक-बधिर विद्यार्थियों को आर्टिस्ट संजय झरबड़े के माध्यम से प्लास्टर कास्ट मूर्ति निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। समापन कार्यक्रम में अतिथियों ने प्रशिक्षित विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया। स्कूल परिसर में आज ओपन जिम का लोकार्पण भी हुआ। समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईपीएस रतनलाल डांगी थे। अध्यक्षता नगर पालिक निगम के अध्यक्ष व पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने किया। स्वास्तिक ग्रुप आॅफ रायपुर के चेयरमेन नरेन्द्र अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईपीएस रतनलाल डांगी ने कहा कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद कहते थे बच्चों में ईश्वर है और हर व्यक्ति भगवान है और यहां जितने भी बच्चें है वे सभी भगवान के रूप है। यदि हम इन दिव्यांग बच्चों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि हम भगवान की ही सेवा कर रहे है। इस दुनिया में जितने भी लोग है उनमें कोई न कोई क्वालिटी जरुर होती है बिना क्वालिटी के वह इस दुनिया में आ ही नहीं सकता। कुछ न कुछ वह लेकर जरुर आता है। यदि किसी में शारीरिक क्षमता है तो किसी में बौद्धिक क्षमता पाएंगे। छोटे बच्चों में बड़ों से ज्यादा सिखने की ललक होती है। उन्होंने कहा कि यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे बोल और सुन नहीं सकते पर इनकी एनर्जी को एक जगह रख दें। बच्चों में 13 साल की उम्र तक एनर्जी पॉवर अधिक रहता है क्योंकि वह जो कुछ भी सीखता है देखकर या सुनकर ही सिखता है। मैं नवविवाहिता बहुओं से कहना चाहता हूं कि वह अपने ससुराल जाएं तो अपने सास-ससुर, ननद-देवर के साथ वैसा ही व्यवहार करें जो उसने बचपन में अपने माता-पिता व दादा-दादी से सीखा है। वह जरुर सोचें कि वह अपने बच्चों को क्या संस्कार देना चाहते है। जो बच्चे बोल या सुन नहीं सकते है उनकी क्षमता में कोई कमी नहीं है। विकलांग होने के बाद भी बच्चे इतना बड़ा काम कर जाते है कि देश व दुनिया के लोग चौक जाते है। यह जो बच्चे हैं देश की प्रापर्टी है और इन बच्चों की जिम्मेदारी उठाने का हम सबका दायित्व बनता है।
रायपुर नगर निगम के सभापति व पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा. एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे कि सभी बच्चों में किसी न किसी प्रकार का हूनर जरुर होता है बस उसे तराशने की जरुरत होती है। अर्पण दिव्यांग पब्लिक स्कूल के बच्चे अब ऊंची उड़ान की ओर आगे बढ़ रहे है। इन बच्चों के बीच जब समाज के प्रतिष्ठित लोग यहां पहुंचकर प्रोत्साहित करते है तो ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में रहने वाले इनके माता-पिता, भाई-बहन बहुत खुश होते है। स्वंय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने जन्मदिन पर इन बच्चों के साथ पौन घंटा व्यतीत कर चुके हैं। हम इनके स्कील डेवलपमेंट का भी काम करत हैं ताकि भविष्य में इन बच्चों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या या दिक्कत न हो। यहां के बहुत सारे बच्चे फेसबुक का भी इस्तेमाल करते है और समय के हिसाब से अपने आप को अपडेट रखते है। डा. राकेश पांडेय, डा. रुचिरा पांडेय, डा. देव मिश्रा इन बच्चों की हियरिंग और स्पीच थेरेपी पर विशेष ध्यान रखते है। इस स्कूल में ऐसी शिक्षिका है जो बोल और सुन नहीं सकती लेकिन बच्चों के पढ़ाई – लिखाई में कोई कसर नहीं छोड़ती।
श्री दुबे ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि दो बच्चों ने स्कूल का टॉयलेट रुम अंदर से लॉक कर दिया और स्कूल प्रबंधन सहित पूरा स्टॉफ यह सोचने में लग गया कि ये बच्चे न तो सुन सकते है और न ही बोल सकते है तब उन्हें यहां से बाहर कैसे निकाले। जब डा. राकेश पांडेय को फोन पर सूचना दी गई तो वे तत्काल पहुंचे और और पेपर को अंदर घुसाया और दो बार हिलाने के बाद बच्चों ने दरवाजा खोल दिया। इसका यह तात्पर्य है कि चाहे मुसीबत कितनी भी बड़ी हो लेकिन अपनी बुद्धिमता से उसे हल किया जा सकता है। ईश्वर जब कोई चीज देता है तो उनके लिए रास्ता भी बनता है। उन्होंने कहा कि बहुत से सामाजिक संगठनों ने बच्चों को गोद ले रखा है तो हमें एहसास ही नहीं होता कि हम इन बच्चों के लिए क्या करें। लड़कियों के लिए गर्ल्स हॉस्टल का निर्माण किया जा रहा है और आने वाले समय में इन बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए एक नया कॉलेज भी खोले जाने की योजना है।