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पेपर लीक विवाद: UKSSSC ने परीक्षा रद्द कर दोबारा आयोजित करने का लिया फैसला

देहरादून 

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने कथित तौर पर पेपर लीक और परीक्षा की तैयारियों को पुख्ता करने का हवाला देते हुए 12 अक्टूबर को होने वाली परीक्षा को स्थगित कर दिया। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। आयोग के अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने बताया कि 12 अक्टूबर को कृषि विभाग के तकनीकी पदों के लिए होने वाली परीक्षा को स्थगित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि आयोग ने इस परीक्षा के लिए अभ्यार्थियों को प्रवेश पत्र जारी करने की प्रक्रिया ही शुरू नहीं की और अब उस तिथि पर यह परीक्षा नहीं होगी।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा को राज्य सरकार ने रद्द कर दिया है। यह फैसला परीक्षा में नकल और पेपर लीक के आरोपों के बीच लिया गया, जिसने पूरे राज्य में छात्रों का आक्रोश भड़का दिया था।

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सरकार के इस फैसले को कई लोग छात्र आंदोलनों और बढ़ते जनदबाव के चलते लिया गया 'बैकफुट का कदम' मान रहे हैं। बेरोजगार संघ द्वारा कई बार बड़े आंदोलन की धमकी भी सरकार को दी जा चुकी है।  बता दें कि आयोग ने 21 सितंबर को यह परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें लगभग 1,05,000 उम्मीदवार शामिल हुए थे।

परेड ग्राउंड में छात्रों का जोरदार प्रदर्शन

पिछले दिनों देहरादून के परेड ग्राउंड में हजारों अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किया था। छात्रों ने पेपर लीक और नकल माफिया के खिलाफ नारेबाज़ी करते हुए मुख्यमंत्री से सीधी कार्रवाई की मांग की थी। सरकार पर निष्क्रियता और दोषियों को बचाने के आरोप लगे थे।

परेड ग्राउंड का यह आंदोलन सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ, जिससे सरकार पर कार्रवाई का दबाव और बढ़ गया।

पेपर लीक में कई गिरफ्तारियां और निलंबन

21 सितंबर को हरिद्वार के आदर्श बाल इंटर कॉलेज से परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होने का मामला सामने आया था। जांच में सामने आया कि मुख्य आरोपी खालिद मलिक ने प्रश्नपत्र की फोटो लेकर अपनी बहन साबिया को भेजी, जिसने उसे आगे टिहरी की सहायक प्रोफेसर सुमन तक पहुंचाया।

सुमन ने प्रश्न हल कर अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराए, और यह जानकारी बाद में सोशल मीडिया पर लीक हो गई। इस मामले में अब तक कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और प्रोफेसर, पुलिसकर्मी, मजिस्ट्रेट सहित कई अधिकारियों को निलंबित किया गया है।

रदद हो सकती है विवादित स्नातक स्तरीय परीक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्नातक स्तरीय परीक्षा रद्द करने की संस्तुति की है। परीक्षा लीक मामले में गठित जस्टिस ध्यानी एकल आयोग ने परीक्षा रद्द करने की सिफारिश की है। मुख्यमंत्री की संस्तुति पर अधीनस्थ सेवन चयन आयोग परीक्षा रद्द करने के विधिवत आदेश जारी करेगा।

मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि प्रकरण की सीबीआई जांच की संस्तुति की जा चुकी है, जिससे मामले की पूरी निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार परीक्षाओं की शुचिता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है। भविष्य में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी भर्ती परीक्षा में अनियमितता की कोई संभावना न रहे और अभ्यर्थियों तथा उनके अभिभावकों का विश्वास राज्य की परीक्षा प्रणाली पर बना रहे।

मालूम हो कि एकल सदस्यीय जांच आयोग ने कुछ जिलों में जाकर खुली सुनवाई करते हुए अभ्यर्थियों, बेरोजगारों और अभिभावकों के साथ चर्चा की थी। अधिकांश अभ्यर्थियों ने परीक्षा को रदद करने की ही पैरवी की है।

मुख्यमंत्री ने दिया था सख्ती का संदेश, पर अब सवाल उठ रहे हैं

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुरुआत में कहा था कि "दोषियों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा" और भारी विरोध के बाद CBI जांच का एलान भी किया था। लेकिन लगातार सामने आ रहे घोटालों, बार-बार पेपर लीक की घटनाओं और युवाओं के उग्र प्रदर्शन ने सरकार की साख पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

अब परीक्षा रद्द होने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार समय रहते सख्ती दिखा पाई? या फिर छात्र आंदोलन और राजनीतिक दबाव में यह कदम उठाना पड़ा?

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