भोपाल
मध्यप्रदेश में उपलब्ध जल विद्युत परियोजनाओं से तैयार उर्जा भंडारण लिए मध्यप्रदेश में पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाएं शुरु की जाएंगी। इसके जरिए प्रदेश में दस हजार मेगावाट जलविद्युत से तैयार उर्जा का स्टोरेज किया जाना संभव होगा जिसका उपयोग राज्य सरकार बिक्री या जरुरत के समय कर सकेगी।
मध्यप्रदेश नवकरणीय उर्जा नीति 2022 के तहत राज्य सरकार मध्यप्रदेश में पंप हाइड्रो स्टोरेज(पीएचएस) परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए योजना शुरु कर रही है।नवीन एवं नवकरणीय उर्जा विभाग इसे संचालित करेगा। इस योजना के तहत जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पादित उर्जा को स्टोर करने के लिए डेम बनाए जाएंगे। दो डेम बनेंगे और उनसे पंप और बैटरी के जरिए उत्पादित विद्युत को स्टोर करने का प्रबंध किया जाएगा।
ऐसे होगा क्रियान्वयन
मध्यप्रदेश में अभी 11.2 गीगावाट पीएचएस परियोजना की क्षमता उपलब्ध है। पीएचएस की एक नई श्रेणी जिसे आॅफ रीवर पीएचएस परियोजना कहा जाता है जो नदी के मार्ग से दर स्थित होती है। इसमें उपरी जलाशय में केवल एक बार गैर उपयोग आधार पर पानी भरने की आवश्यकता होती है। ये स्ािल जलाशय से दूर स्थित होते है और गैर उपयोग आधार पर पानी का उपयोग कर विद्युत उत्पादन करते है। मध्यप्रदेश में पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनाओं के लिए जल्द ही स्थानों का चिन्हांकन होगा और फिर डेवलपर को इसे दिया जाएगा। इसमें डेवपलर को मध्यप्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन में पंजीकरण करना होगा। फिर उसे इस योजना में शामिल किया जाएगा।
इसलिए पड़ी जरुरत
केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2029-30 के अंत तक देश की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 817 गीगावॉट होगी। इसके साथ ही तत्समय देश में सौर उर्जा और पवन उर्जा परियोजनाओं की कुल क्षमता 140 और 280 गीगावॉट अनुमानित की गई है। यह आंकलन किया गया है कि नवकरणीय उर्जा परियोजनाओं की ग्रिड से संबधता हेतु उस समय 10 हजार 151 मेगावॉट पंप हाइड्रो प्रोजेक्ट एवं 27 हजार मेगावाट बैटरी इनर्जी स्टोरज क्षमता की स्थापना होगी। गिड रेसीलेंस और स्टेब्लिी सुनिश्चित करने के लिए नवकरणीय उर्जा परियोजनाओं के साथ समतुल्य उर्जा भंडारण परियोजनाओं के विकास पर भी विचार करना वर्तमान परिदृश्य में अनिवार्य हो गया है।
मध्यप्रदेश में दो जलाशय के निर्माण के जरिए पंप हाइड्रो स्टोरेज परियोजनांए शुरु की जाएंगी। इससे दस हजार मेगावाट उर्जा का स्टोरेज किया जाना संभव होगा। जिसका उपयोग जरुरत के मुताबिक किया जा सकेगा।
संजय दुबे, प्रमुख सचिव उर्जा