तिरुवनंतपुरम
केरल में एक चलती ट्रेन में आगजनी की घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी जा सकती है। घटना को एक सप्ताह बीत चुके हैं और इस मामले में दिल्ली के शाहरुख सैफी नामक युवक को गिरफ्तार किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि 7 अप्रैल को आरोपी को हिरासत में लिए जाने के बाद केरल के एडीजीपी एम.आर. अजित कुमार के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) की टीम उससे पूछताछ कर रही है, लेकिन अब तक उसके हाथ कुछ खास नहीं लगा है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार एसआईटी जांच से नाखुश नजर आ रही है। केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन ने केरल पुलिस की अक्षमता के लिए उसे फटकार लगाई है। उन्होंने कहा कि 2 अप्रैल को हुई घटना के बाद पुलिस ने सिर्फ इतना ही किया है कि महाराष्ट्र के रत्नागिरी से अपराधी को पकड़कर लाई है, वह भी बिना पुख्ता सुरक्षा इंतजाम के।
संयोग से, सैफी 2 अप्रैल की रात को चलती ट्रेन में पेट्रोल छिड़ककर कुछ यात्रियों को आग लगाने के बाद उसी ट्रेन से कन्नूर गया और कुछ घंटे बाद वहां से दूसरी ट्रेन में सवार होकर रत्नागिरी पहुंचा।
आगजनी के बाद दहशत में चलती ट्रेन से कूदने से तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसमें एक दो साल की बच्ची भी शामिल है। घटना में नौ अन्य झुलस गए थे।
इधर, सैफी ने एसआईटी को बताया है कि उसने किसी को ट्रेन से बाहर धक्का नहीं दिया और न ही किसी को ट्रेन से कूदते देखा।
एसआईटी ने केरल के पलक्कड़ जिले के शोरनूर में उस पेट्रोल पंप की पहचान कर ली है जहां सैफी ने पेट्रोल खरीदा था। ट्रेन में सवार होने से पहले उसने शोरनूर में कई घंटे बिताए थे।
घटना के समय से ही केंद्रीय एजेंसियां बेसब्री से इंतजार कर रही हैं। उन्हीं के प्रयासों के कारण महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते की एक टीम ने सैफी को रत्नागिरी से गिरफ्तार किया। इसलिए अब सब की निगाहें एनआईए के अगले कदम पर टिकी हैं क्योंकि केरल पुलिस ने अभी तक यूएपीए की धाराओं के तहत आरोप तय नहीं किए हैं।