रायपुर
महाप्रभु भगवान जगन्नाथ रविवार चार जून को 108 कलश जल से महास्नान करेंगे, इसमें गंगाजल, पंचामृत व औषधीय मिश्रित जल मिलाया जाएगा। दूसरे दिन महाप्रभु बीमार हो जाएंगे, इसके बाद मंदिर का कपाट भक्तों के लिए 14 दिनों के लिए बंद हो जाएगा।
चार जून, रविवार को देव स्नान पूर्णिमा पर महाप्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व बड़े भाई बलभद्र को महास्नान कराया जाएगा, इसमें 108 कलश जल, गंगाजल और पंचामृत व औषधीय मिश्रित जल का उपयोग होगा। परंपरा अनुसार भगवान के ठंडे पानी में अत्यधिक नहाने के कारण वे बीमार हो जाएंगे, इसके बाद मंदिर के पट 14 दिनों के लिए बंद कर दिए गए। इसके बाद 20 जून को भक्त महाप्रभु के नवजोबन स्वरूप का दर्शन कर सकेंगे, जिसे नेत्र उत्सव कहा जाता है। मंदिर के पट खुलने के बाद भक्त महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के दर्शन कर सकेंगे। इसके बाद 20 जुलाई को रथयात्रा (गुंडिचा) है। छेरा पहरा की रस्म अदायगी के बाद रथयात्रा शुरू होगी।
वे अपनी बहन सुभद्रा व बड़े भाई बलभद्र के साथ अपने भक्तों को दर्शन देते हुए मौसी मां के घर पर जाएंगे। यहां नौ दिन रहेंगे। मौसी मां के घर उनके मनोरंजन के साथ ही विभिन्न् सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 28 जुलाई को भगवान वापस मंदिर में आएंगे। इसे बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है। वहीं रुठी हुई माता लक्ष्मी को मनाएंगे। मान्यता के अनुरूप मनाते हुए अपने घर वापसी करेंगे।