
नई दिल्ली, पीटीआइ। कांग्रेस ने रविवार को कहा कि लोकसभा में पार्टी के नेतृत्व परिवर्तन की खबरें समय से पहले और निराधार हैं। अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कांग्रेस के नेता हैं और संसद के मानसून सत्र शुरू होने से कुछ दिन पहले उनको इस पद से हटाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होने वाला है और कांग्रेस विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार पर तीखी बहस करने को तैयार है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने कहा कि लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व बदलने की खबरें समय से पहले और निराधार हैं। पार्टी में लंबित बदलावों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह किसी भी संगठन में एक सतत प्रक्रिया है।
वहीं, पार्टी सूत्रों की मानें तो अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा में कांग्रेस के नेता के रूप में बदलने के लिए शीर्ष स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
बता दें कि अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष भी हैं, जहां हाल के विधानसभा चुनावों में वाम मोर्चा और इंडियन सेकुलर फ्रंट (Indian Secular Front, ISF) के साथ गठबंधन करने के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने चुनाव परिणाम में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी नुकसान का आकलन कर रही है लेकिन पश्चिम बंगाल में भी नेतृत्व बदलने का कोई फैसला नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि जी-23 नेताओं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस के अंदर संगठनात्मक सुधार की मांग की थी। इन सभी नेताओं ने पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के साथ पार्टी के चुनावी गठजोड़ पर भी आपत्ति जताई थी। अभी तक माना जा रहा था कि लोकसभा में कांग्रेस नेता बनने की दौड़ में सबसे आगे तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर और आनंदपुर साहिब के सांसद मनीष तिवारी हैं। ये दोनों 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र के हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में हैं।