भोपाल
उच्च शिक्षा के लिए वित्त विभाग द्वारा चलाई जा रही उच्च शिक्षा ऋण गारंटी योजना में विद्यार्थियों की गांरटी नहीं मिलने से लोन नहीं मिल रहा है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होने के आसार दिखाई देने लगे हैं। जबकि चार लाख से कम लोन के आवेदन करने वाले विद्यार्थियों को लोन दिया जा रहा है।
बता दें कि उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और आयुष विभाग में योजना का क्रियान्वयन द्वारा किया जाता है। विद्यार्थी विभाग को पत्र लिखकर सरकारी गारंटी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा जिस बैंक में वह शिक्षा ऋण के लिए आवेदन करते हैं। गारंटी के अभाव में बैंक द्वारा विभाग को पत्र लिखकर सरकारी गारंटी देने की व्यवस्था की गई है।
बैंक चार लाख से अधिक के लोन को गारंटी के अभाव में निरस्त कर रहे हैं। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 200 विद्यार्थियों के प्रकरणों हेतु गारंटी दी जा सकती है। कई मामले ऐसे हैं, जिन्हें निरस्त कर दिया गया है। अब विद्यार्थी अपनी गारंटी लेने के लिए विभागों में चक्कर काट रहे हैं।
कोलेट्रल सिक्योरिटी की आवश्यकता नहीं
प्रदेश में निम्न आय वर्ग के मेधावी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है, क्योंकि बैंकों द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक ऋण प्राप्त करने पर कोलेट्रल सिक्योरिटी मांगी जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी निर्देश अनुसार वर्तमान में उच्च शिक्षा के लिए बैंक से ऋण प्राप्त करने पर चार लाख रुपए तक किसी प्रकार की कोलेट्रल सिक्योरिटी की आवश्यकता नहीं होती। किंतु इससे अधिक राशि के ऋण हेतु बैंक द्वारा कोलेट्रल सिक्योरिटी लिए जाने का प्रावधान है। ऐसे में गरीब विद्यार्थी जिसे उच्च शिक्षा हेतु ऋण की आवश्यकता है उन्हें इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार की गारंटी पर बैंकों से शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। इस योजना का नोडल विभाग संस्थागत वित्त विभाग है।