
वाशिंगटन (रायटर्स)। अफगानिस्तान पर कब्जे के तीन सप्ताह बाद भी तालिबान सरकार बनाने में विफल रहा है। इस बीच उसकी कोशिश ये भी है कि उसकी सरकार को अधिक से अधिक देशों की मान्यता मिल जाए। यदि ऐसा होता है तो ये विश्व को सीधा संदेश होगा कि उन्हें अब कबूल किया जा रहा है। ये न सिर्फ उनके विभिन्न देशों से भावी संबंधों को बढ़ावा देगा बल्कि ऐसा होने के बाद तालिबान काफी हद तक खुद को बदला हुआ तालिबान बता सकेगा।
इस कोशिश में तालिबान ने पूरी दुनिया से बातचीत का पासा फेंका है। अमेरिका भी इसी सूची में शामिल है। सोमवार देर रात जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से एक पत्रकार ने पूछा कि क्या अमेरिका तालिबान की सरकार को मान्यता देगा, तो उन्होंने कहा कि फिलहाल ये दूर की कौड़ी है। बाइडन के जवाब से जो संदेश सामने आया है उसमें बेहद साफ है कि वो तालिबान को फिलहाल मान्यता देने पर किसी भी तरह का विचार विमर्श नहीं कर रहे हैं।
अमेरिका ने इससे पहले कहा था कि तालिबान सरकार को मान्यता देना उसके व्यवहार पर निर्भर करता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि दुनिया के कई देश और वैश्विक संगठन फिलहाल तालिबान के संपर्क में जरूर हैं लेकिन इन सभी ने उसको मान्यता देने के नाम से हाथ पीछे खींच लिए हैं। यूरोपीय संघ और इसमें शामिल सदस्य देशों के अलावा भारत, रूस, तुर्की का भी तालिबान के प्रति यही रुख कायम है।
गौरतलब है कि तालिबान ने जब से अफगानिस्तान पर कब्जा किया है तब से ही वो ये बात कह रहा है क उसकी ये वाली सरकार पहली सरकार से कहीं अधिक अलग होगी। इसमें महिलाओं समेत अन्य लोगों को पूरे अधिकार दिए जाएंगे। हालांकि अफगानियों और विश्व बिरादरी को ये बात हजम नहीं हो रही है।