
काबुल (जेएनएन)। अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुका तालिबान अब अपनी सरकार के गठन के काफी करीब तक पहुंच गया है। पिछले दिनों ही तालिबान के कुछ बड़े नेताओं ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और दूसरे बड़े नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की थी। ये मुलाकात मुख्य रूप से सरकार गठन को लेकर ही थी। आपको बता दें कि तालिबान काफी समय से अफगानिस्तान में अपनी सरकार को लेकर प्रयासरत है। माना जा रहा है कि अब ये तस्वीर पहले के मुकाबले काफी साफ होती जा रही है। तालिबान पहले ही ये साफ कर चुका है कि उसकी सरकार पूरी तरह से इस्लामिक और शरिया कानून के तहत काम करेगी। इसके शीर्ष पर मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा होगा।
तालिबान ये भी कह चुका है कि उसकी सरकार एक काउंसिल के तहत काम करेगी। काउंसिल के कुछ सदस्य होंगे। इस काउंसिल के सदस्य के तौर पर तालिबान ने पहले पूर्व राष्ट्रपति करजई को भी शामिल होने की पेशकश की थी। हालांकि, बाद में खबर आई कि तालिबान ने उन्हें नजरबंद कर लिया है। तालिबान की सरकार के गठन के तौर पर जो बातें सामने आ रही हैं उनमें कहा जा रहा है कि ये ईरान मॉडल से काफी कुछ मिलती-जुलती होगी। तालिबान की सरकार में अफगानिस्तान एक इस्लामिक मुल्क होगा। इसका मुखिया तालिबान का सुप्रीम लीडर होगा। राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री सभी इस सुप्रीम लीडर के इशारों पर ही काम करेंगे। अखुंदजादा को मिला पद देश में राजनीतिक और धार्मिक दोनों ही रूप से सर्वोच्च होगा।
देश जिस काउंसिल के दिशानिर्देश पर काम करेगी, उसमें कई लोग शामिल होंगे। काउंसिल का प्रमुख गढ़ कंधार कंधार होगा। यहां पर ही सरकार गठन को लेकर माथापच्ची भी चल रही है। कहा जाता है कि यहां पर ही अखुंदजादा भी है, जो जल्द ही सामने आ जाएगा। तालिबानी सरकार का अब तक जो चेहरा सामने आता दिखाई दे रहा है उसमें इसकी एक एग्जीक्यूटिव ब्रांच होगी, जिसका मुखिया पीएम होगा। माना जा रहा है कि ये पद मुल्ला अब्दुल गनी बराबर या मुल्ला याकूब के पास जा सकता है। आपको बता दें कि बरादर फिलहाल इस संगठन के राजनीतिक धड़े के प्रमुख हैं। वहीं, याकूब संगठन के पूर्व आका मुल्ला उमर का बेटा है।
फिलहाल याकूब तालिबान के धार्मिक और वैचारिक मुद्दों को देखता है। तालिबान की सरकार में अब्दुल हकीम हक्कानी देश के मुख्य न्यायधीश हो सकते हैं। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही तालिबान में सरकार गठन पर फूट पड़ने की खबर भी आई थी। इसमें कहा गया था कि सरकार गठन को लेकर अलग-अलग विचार सामने आ रहे हैं, जिसकी वजह से तालिबान अब तक किसी एक बात पर फैसला नहीं कर पा रहा है। इसमें हक्कानी और याकूब के बीच मनमुटाव की भी खबर है। तालिबान की सरकार पर पाकिस्तान की भी नजरें गड़ी हुई हैं। दरअसल, पाकिस्तान चाहता है कि हक्कानी को इस सरकार में कोई बड़ा पद मिले। काबुल की सुरक्षा का दायित्व भी हक्कानी ग्रुप के हाथों में ही है।