देश

नागरिकों में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना पैदा करना जरूरी : मुर्मू

हैदरबाद
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नागरिकों में 'राष्ट्र प्रथम' की भावना पैदा करना आवश्यक है। श्रीमती मुर्मू ने शुक्रवार को हैदराबाद में संस्कृतिक उत्सव लोकमंथन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और विरासत में एकता के धागे को मजबूत करने का यह एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी नागरिकों को भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को समझना चाहिए और हमारी अमूल्य परंपराओं को मजबूत करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘विविधता हमारी मौलिक एकता को सुंदरता का इंद्रधनुष प्रदान करती है। चाहे हम वनवासी हों, ग्रामीण हों, नगरवासी हों, हम सभी भारतीय हैं। राष्ट्रीय एकता की यही भावना तमाम चुनौतियों के बावजूद हमें एकजुट रखे हुए है।’
उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को बांटने और कमजोर करने की कोशिशें सदियों से होती रही हैं। देश की एकता को तोड़ने के लिए कृत्रिम भेद पैदा किये गये हैं, लेकिन, भारतीयता की भावना से ओत-प्रोत नागरिकों ने राष्ट्रीय एकता की मशाल जला रखी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारतीय विचारधारा का प्रभाव दुनिया में दूर-दूर तक फैला हुआ है। भारत की धार्मिक मान्यताएँ, कला, संगीत, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा प्रणालियाँ, भाषा और साहित्य की सराहना पूरे विश्व में की गई है। भारतीय दार्शनिक प्रणालियाँ सबसे पहले विश्व समुदाय को आदर्श जीवन मूल्यों का उपहार देने वाली थीं। पूर्वजों की उस गौरवशाली परंपरा को मजबूत करना हमारा दायित्व है। राष्ट्रपति ने कहा कि सदियों से साम्राज्यवाद और औपनिवेशिक शक्तियों ने न केवल भारत का आर्थिक शोषण किया, बल्कि हमारे सामाजिक ताने-बाने को भी नष्ट करने का प्रयास किया। जिन शासकों ने हमारी समृद्ध बौद्धिक परंपरा को हेय दृष्टि से देखा, उन्होंने नागरिकों में सांस्कृतिक हीनता की भावना पैदा की। भारतीयों पर ऐसी परंपराएँ थोप दी गईं, जो हमारी एकता के लिए हानिकारक थीं। सदियों की पराधीनता के कारण नागरिक गुलामी की मानसिकता के शिकार हो गये। उन्होंने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए नागरिकों में 'राष्ट्र प्रथम' की भावना पैदा करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि लोकमंथन इस भावना को मजबूत बना रहा है।

 

Related Articles
Show More
Back to top button