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पहल : केले के लाखो पौधे रोप कर, हाथी-मानव संघर्ष को रोकने की हुई शुरुआत

मोरीगांव
 मोरीगांव जिलांतर्गत जगीरोड स्थित दहाली-मकारिया में  कई गांवों के लोग एकत्रित हुए। हाथी-मानव संघर्ष को समाप्त करने के लिए केले के पौधे लगाने की विशेष पहल की गई है।

वृक्षबंधु के रूप में प्रसिद्ध बकुल गोगोई और प्रांजल डेकारजा की पहल के तहत लगातार बढ़ रहे हाथी-मानव संघर्ष के समाधान की खातिर असम के विभिन्न जिलों के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आज दहाली-मकारिया में शुरू किया गया।

हाल के दिनों में जंगली हाथी राज्य भर में भोजन की तलाश में जंगलों से बाहर निकलकर रिहायशी इलाकों में एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर रहे हैं। जंगली हाथियों ने कभी इंसानों से संघर्ष के कारण अपनी जान गंवाई है तो कभी इंसानों की जान ले ली है। इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए क्षेत्र के पुरुष, महिला और छात्र सहित सभी वर्गों के लोगों ने हाथियों के पसंदीदा भोजन के रूप में उपयोग किए जाने वाले केले के पौधे लगाकर संघर्ष को हल करने की पहल की है।

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लोगों ने हाथों में केले के पौधे लेकर इस खास कार्यक्रम में सहयोग किया। कार्यक्रम का उद्घाटन जाने-माने पत्रकार प्रणय बोरदोलोई ने किया। असम में दस लाख पौधे लगाने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के तहत आज दहाली-मकारिया में एक लाख पौधे लगाए गए। उन्होंने हाथी-मानव संघर्ष को समाप्त करने के लिए जन जागरण की सराहना की और कहा कि अगर यह कार्रवाई सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती है तो अगले पांच वर्षों में हाथी-मानव संघर्ष समाप्त हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में हाथी-मनुष्य संघर्ष की घटनाएं आए दिन देखने को मिलती हैं। देश में सबसे अधिक हाथी वाले राज्य के रूप में असम दूसरे स्थान पर है।

 

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