देश

 इंडोनेशिया की भारत से अपील की, म्यांमार के सैन्य शासन के साथ बातचीत ना करे.

नई दिल्ली
 
म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर काबिज सैन्य शासन को लेकर इंडोनेशिया ने भारत से खास अपील की है. इंडोनेशिया चाहता है कि भारत म्यांमार के सैन्य शासन के साथ बातचीत ना करे.

इंडोनेशिया की विदेश मंत्री रेटनो मार्सुडी ने कहा है कि भारत और अन्य देशों को म्यांमार के मामले में कोई दूसरा रास्ता पकड़ने की जगह आसियान (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस) की नीति का सम्मान करते हुए उसी पर चलना चाहिए.

इंडोनेशिया की विदेश मंत्री ने अखबार 'द हिंदू' से बातचीत में कहा, अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान (ASEAN) की लोकतंत्र स्थापित करने की कोशिशों को कमजोर बना सकता है.

Related Articles

इंडोनेशिया की विदेश मंत्री ने भारत समेत अन्य देशों से आसियान की पांच सूत्रीय सहमति के अनुसार आगे बढ़ने की अपील की. इस पांच सूत्रीय सहमति में म्यांमार में हिंसा का तुरंत खात्मा, विशेष दूत को नियुक्त करना, सभी पक्षों में वार्ता, आसियान की ओर से मानवीय सहायता और आसियान के विशेष दूत को सभी पक्षों से मिलने की इजाजत जैसे बिंदु शामिल हैं.

इंडोनेशिया की विदेश मंत्री ने कहा कि, ''आसियान सहयोगियों को हमारा संदेश है कि ASEAN की कोशिशों का समर्थन करें, क्योंकि अगर आप कुछ अलग करने की कोशिश करेंगे तो वह हमें तो कमजोर करेगा ही, साथ ही म्यांमार को इस राजनीतिक संकट से बाहर निकालने के लिए मददगार साबित नहीं होगा.''

इंडोनेशिया की विदेश मंत्री रेटनो मार्सुडी ने कहा कि, ''हम बार-बार कह रहे हैं, कृपया आसियान का सम्मान करें और पांत्र सूत्रीय सहमति का समर्थन करें.'' मार्सुडी ने आगे कहा कि सितंबर में इस मामले में उनकी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी बातचीत हुई थी.

बिम्सटेक की वर्चुअल समिट में शामिल हुए थे म्यांमार के विदेश मंत्री
बता दें कि फरवरी 2021 में म्यांमार की सत्ता पर सेना का कब्जा हो गया था. उस समय अधिकतर देश इसके खिलाफ थे. लेकिन 2022 के मार्च महीने में बिम्सटेक (BIMSTEC) संगठन की वर्चुअल समिट में भारत और श्रीलंका की ओर से म्यांमार की सैन्य सरकार के विदेश मंत्री को शामिल होने का न्योता दिया गया था. आसियान सदस्यों और अमेरिका ने इस मामले में चिंता भी जाहिर की थी.

नवंबर के आखिरी सप्ताह में भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा म्यांमार पहुंचे थे. वहां भारतीय विदेश सचिव पहले की तरह उन राजनीतिक नेताओं या पार्टियों के साथ वार्ता में शामिल नहीं हुए थे, जिन्हें म्यांमार की सैन्य ताकत ने सत्ता से हटा दिया था. इतना ही नहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से आसियान की पांच सूत्रीय सहमति को लेकर भी कुछ नहीं कहा गया था.

भारतीय विदेश सचिव की म्यांमार यात्रा को लेकर भारत सरकार के अधिकारियों ने कहा था कि भारत और म्यांमार के संबंध अहम हैं, क्योंकि दोनों एक दूसरे के साथ सीमा साझा करते हैं. उन्होंने कहा कि जैसे चीन म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ वार्ता कर रहा है, उसी तरह भारत के लिए भी म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ वार्ता जरूरी है.

फरवरी 2021 में हुआ था म्यांमार में तख्तापलट
बता दें कि फरवरी 2021 में म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की चुनी हुई सरकार को संसद से बाहर का रास्ता दिखाते हुए सत्ता पर अपना कब्जा कर लिया था.  इसके बाद से ही देश में विवाद शुरू हो गया था. काफी संख्या में लोगों ने सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शन किया. कई लोगों को सैन्य शासन की ओर से कठोर सजा भी दी गई लेकिन लोगों की नाराजगी कम नहीं हुई.

सैन्य शासन होते ही तत्कालीन प्रधानमंत्री आंग सान सू समेत कई पार्टियों के बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. खासतौर पर आंग सान सू भ्रष्टाचार समेत कई अपराधों में दोषी ठहराई गईं. कभी शांति के लिए नोबल जीतने वाली आंग सान सू वर्तमान में जेल में बंद हैं.

क्या है आसियान संगठन
ASEAN यानी एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस 10 दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का एक संगठन है. इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है. इसकी स्थापना साल 1967 में थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में की गई थी. इसके संस्थापक सदस्यों में थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस और सिंगापुर शामिल हैं. इसके बाद संगठन से अन्य देश भी इससे जुड़ते चले गए. मौजूदा समय में ऊपर दिए पांच संस्थापक सदस्यों के अलावा कंबोडिया, ब्रूनेई, लाओस, वियतनाम और म्यांमार भी इसके सदस्य हैं.

सबांग बंदरगाह निर्माण पर बोलीं इंडोनेशिया की विदेश मंत्री
दूसरी ओर, साल 2018 में शुरू हुई भारत और इंडोनेशिया की द्विपक्षीय पहल 'सबांग बंदरगाह' के निर्माण को लेकर भी इंडोनेशियाई विदेश मंत्री ने बयान दिया. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को लेकर अध्ययन पूरा हो चुका है, अब दोनों देशों की जॉइंट टास्ट फोर्स 19 दिसंबर को मुलाकात कर निर्माण को लेकर आगे की योजना बनाएंगी.

बता दें कि साल 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने इंडोनेशिया में सबांग बंदरगाह के निर्माण का ऐलान किया था. यह प्रोजेक्ट दोनों देशों के संबंधों को और ज्यादा मजबूती और एशिया के सुपरपावर चीन को पूर्वी क्षेत्र में दिए एक झटके के रूप में देखा गया था.

KhabarBhoomi Desk-1

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button