वाशिंगटन
भारत दुनिया के उन 14 देशों में शामिल है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के अपहरण और उन्हें उनके माता-पिता से अलग किए जाने (आईपीसीए) से संबंधित किसी भी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते। एक अमेरिकी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
आईपीसीए पर विदेश विभाग की वर्ष 2023 की सालाना रिपोर्ट अमेरिकी संसद में पेश की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के अपहरण और उन्हें उनके माता-पिता से अलग किए जाने से संबंधित किसी भी प्रोटोकॉल का पालन नहीं करता। 2022 में भारत ने गैर-अनुपालन का पैटर्न जारी रखा। भारत में सक्षम प्राधिकारी अपहरण के मामलों को सुलझाने के लिए विशेष रूप से विदेश विभाग के साथ मिलकर काम करने में लगातार नाकाम रहे।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “इस नाकामी के फलस्वरूप अपहृत बच्चों को छुड़ाने के 65 फीसदी आग्रहों पर 12 महीने से अधिक समय तक सफल कार्रवाई नहीं की जा सकी है।”
अंतरराष्ट्रीय बाल अपहरण के नागरिक पहलुओं पर हेग संधि (1980) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माता-पिता के पास से अपहृत बच्चे को एक सदस्य देश से दूसरे सदस्य देश में वापस भेजने के लिए एक तंत्र प्रदान करती है। इस संधि पर 96 देशों ने हस्ताक्षर कर रखे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मामले औसतन तीन साल और दस महीने की अवधि तक अनसुलझे रहते हैं। इसमें कहा गया है कि हिरासत से जुड़े विवादों में मध्यस्थता के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा 2018 में स्थापित मध्यस्थता सेल अभी तक अमेरिका और भारत के बीच अपहरण के किसी भी मामले को हल नहीं कर पाया है।
रिपोर्ट में जिन अन्य देशों के आईपीसीसी प्रोटोकॉल का पालन न करने का दावा किया गया है, उनमें अर्जेंटीना, बेलिज, ब्राजील, बुल्गारिया, इक्वाडोर, मिस्र, डोंडुरास, जॉर्डन, पेरू, कोरिया गणराज्य, रोमानिया, रूस और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं।