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बांझपन होने पर महिलाएं टीबी की जांच जरूर कराएं, अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले नतीजे

 नई दिल्ली 

अगर महिलाओं को मां बनने में दिक्कत आ रही है तो क्षय रोग (टीबी) की जांच जरूर करानी चाहिए। दिल्ली में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि कस्तूरबा गांधी अस्पताल में बांझपन के क्लीनिक में इलाज के लिए आईं लगभग एक चौथाई महिलाओं को टीबी थी। इसका इलाज होने पर कुछ महिलाएं मां बनने में सफल हुई हैं। अध्ययन की प्रमुख लेखक डॉक्टर मारुति सिन्हा का कहना है कि महिलाओं के बांझपन से पीड़ित होने के पीछे टीबी बड़ी वजह के रूप में सामने आया है। कस्तूरबा गांधी अस्पताल में बांझपन के इलाज का क्लीनिक चलता है। डॉक्टरों ने इस क्लीनिक में बांझपन की शिकायत के साथ आईं 177 महिलाओं को अपने अध्ययन में शामिल किया। इनमें से 23 फीसदी महिलाएं ऐसी थीं जिन्हें पहले टीबी थी। इनमें कुछ महिलाएं टीबी की सक्रिय मरीज भी थीं।

87 फीसदी महिलाएं 25 से 35 साल की

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टीबी से पीड़ित महिलाओं की लेप्रोस्कोपिक जांच की गई तो पता चला 55 फीसदी महिलाओं को जननांगों (जेनिटल) की टीबी है। यह भी चौंकाने वाला था कि जननांगों की टीबी से पीड़ित 87 फीसदी की उम्र 25 से 35 साल थी।

इसलिए करती है प्रभावित

● टीबी का संक्रमण फैलोपियन ट्यूब से यूट्रस में फैल जाता हैै। यह बीमारी महिलाओं के जननांग, ओवरी और सर्विक्स को भी प्रभावित करती है।

● सामान्य टीबी के इलाज से जननांगों की टीबी ठीक हो जाती है। इलाज न होने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। बैक्टीरिया फैलोपियन ट्यूब को बंद कर देती है, जिसकी वजह से गर्भ नहीं ठहरता है।

इलाज होने पर मां बन गईं कुछ महिलाएं

डॉक्टर मारुति सिन्हा ने बताया कि बांझपन से पीड़ित कुछ महिलाएं जिन्हें टीबी थी, इलाज शुरू होने के बाद वे मां बनने में सफल रहीं। महिलाओं को बांझपन है तो उन्हें टीबी की जांच जरूर करानी चाहिए।
 

KhabarBhoomi Desk-1

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